ये मोबाइल हमारा है
पतिदेव से भी प्यारा है
उठते ही मोबाइल के दर्शन पहले पाऊं मैं।
पति परमेशवर को ऐसे में बस भूल ही जाऊं मैं।
मध्यम आंच पर चाय चड़ाऊं मैं।
व्हॉट्सएप को पढ़ती जाऊं मैं।
चाय उबल कर हो गई काड़ा।
चिल्ला रहा है अब पति देव हमारा।
कानों में है ईयरफ़ोन लगाया।
अब मैंने फेसबुक है चलाया।
रोटी बनाने की बारी आई।
दाल गैस पर चढ़ा कर आई।
इतने में सखी का फ़ोन आया।
पार्टी का उसने संदेशा सुनाया।
करने लगी बातें मैं प्यारी।
इतने में भिन्डी हो गई करारी।
सासूजी चबा ना पाई।
मन ही मन वो खूब बड़बड़ाई।
ससुर जी बैठे हैं बाथरूम में।
खत्म हो गया पानी टंकी में।
कैंडी-क्रश गेम में उलझ गई थी मैं।
मोटर चालु करना ही भूल गई थी मैं।
ग्रुप की एडमिन बन कर है नाम बहुत कमाया।
सबके घर की बहुओं को अपने ही साथ उलझाया।
बच्चों की मार्कशीट के मार्क्स ही ऐसे आए।
जो पति परमेश्वर के दिल को ना है भाए।
उसे देख पतिदेव ने सिंघम रूप बनाया।
“आता माझी सटकली” हमको है सुनाया
घर का बजा रहा है बारा