कोरोनाकाल में हिन्दी का प्रयोग घटा है।
'दहशत' की जगह 'पैनिक' शब्द आ डटा है।
वायरस देखकर -
हिन्दी शब्दों की ख़पत घटी है।
अब हमारी बातचीत में विटामिन-सी, जिंक,
स्टीम और इम्यूनिटी है
उधर 'सकारात्मक' की जगह 'पॉजिटिव' शब्द ने हथियाई है।
इधर 'नेगेटिव' होने पर भी खुशी है, बधाई है
अब ज़िन्दगी में 'महत्वपूर्ण कार्य' नहीं 'इम्पोर्टेन्ट टास्क' है।
हमारे नए आदर्श
अब हैंडवाश, सेनिटाइजर और मास्क हैं
हिन्दी के अनेक शब्द सेल्फ क्वारेन्टीन हैं।
कुछ आइसोलेशन में हैं,
कुछ बेहद ग़मगीन हैं।
मित्रों ,इस कोरोनकाल में हमारे साथ,
हिन्दी की शब्दावली भी डगमगाई है।
वो तो सिर्फ काढ़ा है,
जिसने हिन्दी की जान बचाई है...