वर्मा जी ने शादी की 25 वीं वर्षगांठ मनाई तो रिपोर्टर साक्षात्कार लेने जा पहुंचा।
वर्मा जी शांतिपूर्ण और सुखमय विवाहित जीवन के लिये पूरे कस्बे में प्रसिद्ध थे। वर्मा जी और वर्माइन के बीच कभी कोई तकरार नहीं हुई थी।
रिपोर्टर सुखी जीवन का राज जानने के लिये उत्सुक था।
वर्मा जी ने बताया : हमारी शादी के फौरन बाद हम लोग हनीमून मनाने के लिए शिमला गये हुये थे। वहां हम लोगों ने घुड़सवारी की। मेरा घोड़ा तो ठीक था पर
जिस घोड़े पर पत्नी सवार थी वह जरा सा नखरे बाज़ था। उसने दौड़ते दौड़ते अचानक पत्नी को नीचे गिरा दिया। पत्नी उठी उसने घोड़े की पीठ पर हाथ फेरते हुये कहा, 'यह पहली बार है और फिर उसी घोड़े पर सवार हो गई'।
थोड़ी दूर चलने के बाद घोड़े ने फिर उसे नीचे गिरा दिया। पत्नी ने अबकी बार कहा, 'यह दूसरी बार है' और फिर उसी घोड़े पर सवार हो गई।
तीसरी बार जब घोड़े ने उसे नीचे गिराया तो मेरी पत्नी ने घोड़े से कुछ नहीं कहा, बस अपने पर्स से पिस्तौल निकाली और घोड़े को गोली मार दी।
मैं अपनी पत्नी पर चिल्लाया, "ये तुमने क्या किया? तुमने एक बेजुबान जानवर को मार दिया, क्या तुम पागल हो गई हो?"
पत्नी ने मेरी तरफ देखा और कहा, "ये पहली बार है।"
और बस, तभी से हमारी जिंदगी सुख और शान्ति से चल रही है।