इंदौरी शायरी
वो मेरे दिल में भराए इस तरा...
पोए में सेंव भराती जिस तरा...
उतर आये हमारे दिल में कुछ ऐसे वो...
उतरती कचोरी में चटनी जिस तरा...
कुछ दिन पहले उनकी याद में इस कदर अपन रोये...
सूरत हुई अपनी जैसे बिगेर प्याज के पोए...
आने से उनके चमके अपन कुछ ऐसे...
चमकते जोशी जी के दही बड़े जिस तरा...
मेरे प्रपोजल पे तुम हओ तो के दो...
करते हो हमसे लव तो के दो...
वर्ना इश्क में तेरे टूट जाऐंगे हम जालिम...
टूटे सराफे की चाट में पपड़ी जिस तरा...
हां बोल दे तू तो छप्पन पे आऊंगा..
तेरा मनपसंद पलासिया पे घर बनवाऊंगा..
तेरी 'नी' से हो जाऊंगा बरबाद में...
हुआ बर्बाद LIG का राज टावर जिस तरा..
उमर भर तेरे ही गीत गाऊंगा...
छोड़ इंदौर कईं नी जाऊंगा...
कसम तेरको पोए जलेबी की,
तू हओ केदे वर्ना...
वैन के पीछे 'रीगल से
टेसन-टेसन' चिल्लाऊंगा..