मालवा (इंदौर) के लोगो से ज्यादा ईमानदार लोग चिराग ले कर ढूंढने से भी नहीं मिलेंगेl
ये आक्रमण करने से पहले पूछते हैं l
बतऊं तेर को ?
उठूँ अभी ?"
अऊं कई ?"
खाए बिना नी मानेगा क्या?
देऊंवां एक जो मुंडी घूम जाएगी
जादा शाणपत्ती आ री है, निकालूं अबी?
भाग जा नहीं तर...
और जब तक कूटने की परमिशन नही मिलती तब तक हमला नहीं करते l
इस घोर कलयुग मे ऐसे सज्जन लोग और कहां मिलेंगे ?