दो ट्रेनी जजों को पुलिस ने तेज़ गाड़ी चलाने के जुर्म में पकड़ लिया.
चूंकि वे दोनों जज थे इसलिए जब उनका मामला अदालत में पहुंचा तो वरिष्ठ जज ने आदेश दिया कि वे एक दूसरे की सुनवाई खुद करें.... सुनवाई शुरू हुई…..
पहला जज, न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा और दूसरा कटघरे में खड़ा हुआ....दूसरे जज ने खामोशी से अपना अपराध स्वीकार कर लिया.....
न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठे जज ने दूसरे जज पर 100 रुपए का जुर्माना लगाया और दुबारा ऐसी हरकत न करने की चेतावनी दी.
अब दूसरे जज की बारी थी…..
दूसरा जज न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा और पहला जज कटघरे में खड़ा हुआ....उसने भी चुपचाप अपना अपराध स्वीकार कर लिया....
न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठे जज ने 10 हजार रुपये जुर्माना और एक महीने तक गाड़ी न चलाने की सजा सुनाई.....
यह सुनते ही कटघरे में खडा जज गुस्से से उबल पड़ा – “ये क्या बात हुई ? मैंने तुम्हें सिर्फ 100 रुपये जुर्माना और बिना कोई सजा दिए छोड़ दिया और तुम मेरे ऊपर 10 हजार का जुर्माना और गाड़ी चलाने पर पाबंदी भी लगा रहे हो ?”
न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठे जज ने शांतिपूर्वक कहा – I Am Sorry My Friend.... लेकिन इस अदालत में आज ही 1 दिन में तेज़ गाड़ी चलाने का ये दूसरा केस है और ये स्थिति वाकई चिंताजनक है….. इस तरह की घटनाएं और न हों इसके लिए आखिर किसी न किसी को तो सख्ती करनी पड़ेगी न ?