कुछ डकैतों ने डिसाइड किया कि अब वे डकैती नहीं करेंगे। लेकिन बाद में प्रश्न आया कि फिर वो क्या करेंगे। बहुत विचार-विमर्श और मंथन के बाद उन्होंने सोचा कि शिक्षा की कमी के चलते अपन लोग डकैत बने, इसलिए हम लोगों को शिक्षित करने का काम करेंगे. सभी ने इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने का निर्णय लिया। उनकी पहली मीटिंग के Points कुछ ऐसे हैं -
1.सभी ने एक मत होकर कहा कि हमने कभी गरीबों को नहीं लूटा, इसलिए इस बार भी उन्हें नहीं लूटेंगे। सही होगा कि सिर्फ अमीरों को निशाना बनाया जाए इसलिए फीस इतनी हो कि गरीब का बच्चा कभी अपने स्कूल न आ पाए।
2. हम किसी भी तरह का डोनेशन नहीं लेंगे, एक ही बार में एडमिशन फी लेंगे।
3. टूशन फी को किसी अलग नाम से लेंगे, वरना शिक्षा के अधिकार का कोई मजाक न बनाए।
4. हर मौसम का ड्रेस अलग होगा, वरना बच्चा एक ड्रेस पहन-पहन के बोर हो जाएगा।
5. ड्रेस 2 ही दुकान पर मिलेगी, माता-पिता ज्यादा परेशान नहीं होने चाहिए।
6. स्कूल ऐसी जगह बनाओ कि बच्चो को लगे कि 'हां आज कहीं घूम कर आए हैं' बस चालकों को भी रोजगार मिलेगा और बस का रुट ऐसा हो कि माता-पिता भी जरा घर से निकले, बोर होते होंगे।
7. आखिर कौन नहीं चाहता कि उसका बच्चा बहुमुखी प्रतिभा का धनी हो। महीने में 1-2 एक्टिविटी ऐसी रखो जिसकी अलग ड्रेस और फी हो। हर बच्चा पार्टीसिपेट करना चाहिए।
8. पेरेंट्स के साथ दादा-दादी और नाना-नानी को भी स्कूल बुलाते जाओ...आखिर उनकी भी कोई जिम्मेदारी है।
9. सरकारी सिलेबस गरीब पढ़ते हैं, अपनी तो कॉपी किताबें भी स्कूल के स्टीकर वाली होगी। कहीं नहीं मिले, सिर्फ एक जगह छोड़कर।
10. ड्रेस के साथ मोज़े, बेल्ट, बैच और ऐसी ही कई एसेसरीज भी सप्ताह के दिनों के हिसाब से हों।
11. एनुअल-डे पर तो सभी को मजा आना चाहिए...सेलिब्रिटी बुलवाओ, खर्चे का टेंशन मत लो...
12. सबसे महत्वपूर्ण...एडमिशन देने का तरीका ऐसा हो कि सामने वाले को भी लगे कि उसने कुछ हासिल किया है।
आखिर अब हम डकैत नहीं, शिक्षा कितनी जरुरी है...और हां ये वह मुद्दा है जिसके लिए कभी संसद में कोई कुछ नहीं बोलेगा...