दादाजी : सारा दिन मोबाइल/ फेसबुक। बोर नहीं होता क्या तू? ऐसा क्या है उसमें?
नाती : अरे दादाजी, आप एक काम करो। आप इसमें अपने पुराने मित्रों को ढूंढो।
दादाजी : अरे, वो सब तो मेरे साथ तीसरी-चौथी तक पढ़े। उन सबको ये समझता होगा क्या?
नाती : अरे, आप एक बार ट्राय तो करो दादाजी।
और फिर 88 साल के सदानंदजी का फेसबुक अकाउंट बनाया गया। आधे घंटे के भीतर चन्द्रकांत पाटिल, यशवंत राव और झामलू यादव इत्यादि इनकी फ्रेंड रिक्वेस्ट आ गई।
यह सब फ्रेंड रिक्वेस्ट देखते ही सदानंद (दादाजी) की आंखें चमक उठीं और वे पोले से बोले कि अरे बेटा, जरा देख तो इसमें लीलावती चौरसिया या फिर मंदाकिनी चौहान इनका कहीं पता लगता है क्या?