टीचर-इस शेर का मालवी अनुवाद करो ... !
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तदबीर से पहले,
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है ?"
अपना नंदू :
शायर कइरियो है कि खुद इत्ता ऊंचा चढ़ी जाओ .. इत्ता ऊंचा...हिमालय से भी नरा ऊंचा ... माथा पे बुलंदी . . .जद तमारे सर्दी लागे और तम ठंड से ठरी जाओ ... जद भगवान तमारा से खुद पूछेगा, भूरिया थारी रजई कां है।