एक बहुत ही पहुंचे हुए संत थे।
ध्यान, साधना के जानकार, हमेशा मुस्कुराते रहते थे। आने वाले शिष्य उलटा, सीधा कुछ भी पूछें हमेशा हंस कर जवाब देते थे।गुस्सा तो कभी आता ही नहीं था, गज़ब का धैर्य था... उनकी ख्याति दूर दूर तक थी।
एक बार एक पत्रकार ने पूछा,
“बाबा, आप के गुरु कौन हैं?
आपने ये धैर्य, ध्यान और साधना की शिक्षा कहां से ली?”
संत ने उस पत्रकार की और प्रेम से देखा और सांस छोड़ते हुए, कहा:
बेटा, मैंने, 20 साल, लेडीज़ सूट और साड़ी के शोरूम पर काम किया है।