जयपुर। मास्टर शेफ विकास खन्ना ने कहा है कि पाक कला की पुस्तकों को कभी भी साहित्य का हिस्सा नहीं माना गया लेकिन अब समय बदल गया है और उसके साथ ही पुस्तकों के अवतार भी बदल गए हैं।
यहां चल रहे साहित्य उत्सव से इतर खन्ना ने कहा कि शेफ कभी भी संस्कृति के प्रतीक नहीं माने जाते थे लेकिन अब ऐसा होने लगा है। व्यंजन संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और अब यह हमारे साहित्य का भी हिस्सा बन गए हैं। एक शेफ का यहां होना इस बात का सबूत है।
खन्ना का मानना है कि पाक कला की पुस्तकों को कथा या कथा इतर श्रेणी में बांटना कठिन था लेकिन अब समय के साथ इन्होंने अपनी एक अलग श्रेणी बना ली है।
उन्होंने बताया कि जब मैंने अपनी पाक कला की एक पुस्तक को अमेरिका में छपवाना चाहा तब प्रकाशकों ने यह कहते हुए उन्हें प्रकाशित करने से मना कर दिया कि उनके लिए कोई बाजार नहीं है। भारतीय पाक कला की 2 से 6 डॉलर तक की सस्ती किताबें खरीदते हैं और पाक कला की महंगी किताबों के लिए कोई बाजार नहीं है।
फॉक्स के पर्यटकों लिए पाक कला और पर्यटन के एक शो ट्विस्ट ऑफ टेस्ट 3 के मेजबान 43 वर्षीय खन्ना ने कहा कि उन्होंने प्रण लिया है कि अब पाक कला की कोई पुस्तक नहीं लिखेंगे।
उन्होंने कहा कि आप मुझे भविष्य में व्यंजन बनाने की विधि की कोई पुस्तक लिखते नहीं देखेंगे। मैं अब अलग तरह की किताबें लिखूंगा, जो निश्चित तौर पर व्यंजनों से जुडी होंगी लेकिन हूबहू उसी तरह की नहीं होंगी।
अब तक पाक कला से जुड़ी करीब 20 पुस्तकें लिख चुके विकास की मार्च में नई किताब बिल्स ऑफ स्पाइसेस आ रही है।
उन्होंने कहा कि इसके बाद मैं शाकाहार पर काम करूंगा। उनका मानना है कि भारत में पाक कला की किताबों की मार्केटिंग कोई बड़ी बात नहीं है। (भाषा)