प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर अपनी किताब ' द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' को लेकर चर्चा में आए संजय बारु दिल्ली की महिला पत्रकारों से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि जब मैं यह किताब लिख रहा था तब मैंने सोचा था कि लोग कहेंगे कि मैं एक ऐसे प्रधानमंत्री की पैरवी कर रहा हूं जिसकी पैरवी आज कोई नहीं करना चाहता।
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मेरी इस किताब से कुछ लोग यह समझ रहे हैं कि मैं आने वाली नरेन्द्र मोदी की सरकार में अपने लिए एक 'जॉब एप्लीकेशन' दे रहा हूं। बारु ने कहा कि यह किताब लोगों द्वारा गलत समझी गई है। मीडिया ने वही उठाया जो उन्हें मिला। वे और भी बहुत कुछ देख सकते थे।
संजय बारु ने कहा कि मैंने वही लिखा जो मैंने देखा। किताब के प्रकाशन के समय पर उन्होंने कहा इसमें नीति और न्याय संगत होने जैसे पक्षों को उठाना ठीक नहीं है। यह एक राजनैतिक मुद्दा है। किताब आने के समय के बारे में निर्णय प्रकाशक का था।
प्रकाशक का कहना था कि जून 2014 के बाद मनमोहन सिंह पर किताब कौन पढ़ना चाहेगा? आज यह किताब सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब है। पहले कुछ नकारात्मक समीक्षा आई पर अब लोग सकारात्मक रुप से भी इस पर लिख रहे हैं, यह अच्छा संकेत है।
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मनमोहन सिंह द्वारा सोनिया गांधी को फाइल दिखाने के मुद्दे पर बारु ने कहा कि फाइल दिखाने का मतलब सलाह मशविरा करना भी होता है। बारु ने दावा किया कि 2009 में मनमोहन सिंह अगर चुनाव लड़ते तो वे जरूर जीत जाते।