अटल बिहारी वाजपेयी, मानवता को सबसे ऊपर मानकर चलते थे। न उन्होंने कभी इंसानों में भेद किया न धर्म में और न ही उनकी जाति में। वे हमेशा से ही मानवता और उसकी गुणवत्ता में सुधार के पक्षधर रहे हैं -
1 अगर परमात्मा भी आ जाए और कहे कि छुआछूत मानो, तो मैं ऐसे परमात्मा को भी मानने को तैयार नहीं हूं किंतु परमात्मा ऐसा कह ही नहीं सकता । -अटल बिहारी वाजपेयी
2 अस्पृश्यता कानून के विरुद्ध ही नहीं, वह परमात्मा तथा मानवता के विरुद्ध भी एक गंभीर अपराध है ।
- अटल बिहारी वाजपेयी
3 इंसान बनो, केवल नाम से नहीं, रूप से नहीं, शक्ल से नहीं, हृदय से, बुद्धि से, सरकार से, ज्ञान से ।- अटल बिहारी वाजपेयी
4 मनुष्य जीवन अनमोल निधि है, पुण्य का प्रसाद है । हम केवल अपने लिए न जिएं, औरों के लिए भी जिएं । जीवन जीना एक कला है, एक विज्ञान है । दोनों का समन्वय आवश्यक है । -अटल बिहारी वाजपेयी
5 मुझे अपने हिन्दूत्व पर अभिमान है, किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं मुस्तिम-विरोधी हूं । - अटल बिहारी वाजपेयी
6 दरिद्रता का सर्वथा उन्मूलन कर हमें प्रत्येक व्यक्ति से उसकी क्षमता के अनुसार कार्य लेना चाहिए और उसकी आवश्यकता के अनुसार उसे देना चाहिए । -अटल बिहारी वाजपेयी