वेबिनार। बसंत पंचमी शनिवार के दिन भारतीय ज्ञानपीठ के आयोजन वाक् के अन्तर्गत डॉ. प्रभाकिरण जैन द्वारा संपादित पुस्तक 'भारतनामा' पर प्रथम वेबीनार परिचर्चा सम्पन्न हुई। इस वेबीनार को असफल करने के लिए असामाजिक तत्वों ने असफल कोशिश की। आयोजनकों के अनुसार इस वेबिनार में कुछ लोगों ने आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट किए परंतु व्यवधान डालने के अपने प्रयास में वे सफल नहीं हो पाए।
डॉ. प्रभाकिरण जैन ने कहा कि हमारा कार्यक्रम 7 बजे प्रारंभ होना था जो शुरुआत के 10-15 मिनट तो अच्छे से चलता रहा परंतु कुछ असामाजिक तत्वों ने इस जूम मीटिंग में आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट कर दिए। शांतिपूर्ण चलते हुए आयोजन में अचानक वाहियात किस्म के असामाजिक एवं संस्कारहीन तत्वों ने शिरकत की तथा अशोभनीय कृत्यों के साथ आयोजन को विफल करना चाहा किन्तु वे कर नहीं पाए। हमें कार्यक्रम को कुछ देर के लिए बीच में बंद करना पड़ा परंतु पुन: कार्यक्रम प्रारंभ करके चर्चा को आगे बढ़ाया गया जो देर तक चलती रही।
आयोजन की अध्यक्षता डॉ. स्वस्तिश्री चारुकीर्ति जी ने की। प्रो. श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी के सांनिध्य में "हमारे देश का नामकरण कौन-से भरत के नाम पर हुआ। वेद, पुराण एवं अन्य धर्म ग्रंथों में इस विषय पर प्रमाण कौन से भरत को वास्तव में हमारे देश के नामकरण का हेतु स्वीकार करते हैं- "इस विषय पर डॉ. अमित राय जैन, डॉ पांखुरी वक़्त जोशी, श्री संजय सोनवणी एवं डॉ. जयकुमार उपाध्ये ने अपने विचार व्यक्त किए।
आयोजन का संचालन आकाश जैन ने किया। ज्ञानपीठ के प्रबंध न्यासी साहू अखिलेश जैन एवं निदेशक वरिष्ठ पत्रकार मधुसूदन आनंद जी की उपस्थिति से गरिमा युक्त आयोजन संपन्न हुआ। सर्वश्री करुणा शंकर शुक्ला, राकेश मेहता, शैलेन्द्र जैन, प्रशांत जैन,कमल कुमार जैन, सुदीप जैन, फूलचंद प्रेमी, नीलम जैन, अनुपमा जैन, नेहा जैन, अंकित पाटनी सुनीता तिवारी, रुबी जैन तथा देश-विदेश से गणमान्य विद्वानों एवं सत्यांवेशी महानुभावों ने ज़ूम के माध्यम से जुड़कर आयोजन को सफल बनाया।