जन्म- 27 नवंबर 1907
निधन-18 जनवरी 2003
Highlights
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हरिवंश राय बच्चन की श्रेष्ठ रचना कौन सी है?
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मधुशाला किसकी कविता है?
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हरिवंश राय बच्चन के कितने बच्चे थे?
Harivansh Rai Bachchan Biography : हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय और शिक्षा : आज हिंदी भाषा के प्रमुख कवियों में से एक कवि और लेखक डॉ. हरिवंश राय बच्चन की जयंती है। उन्हें हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैं। हरिवंश राय बच्चन का जन्म इलाहाबाद के एक मध्यमवर्गीय परिवार में 27 नवंबर, 1907 को हुआ था। वे 'मधुशाला' के रचयिता के रूप में जगप्रसिद्ध है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद सन् 1941 से 1952 तक वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंगरेजी के प्राध्यापक रहे। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से 'डब्ल्यू.वी. येट्स एंड ऑकल्टिजम' (W.B. Yates and Optimism) विषय पर शोध किया। फिर कुछ महीने आकाशवाणी, इलाहाबाद में काम करने के बाद 1955 में वे भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में विशेष कार्याधिकारी (हिंदी) नियुक्त हुए।
हरिवंश राय बच्चन का विवाह : हरिवंश राय जी की पहली शादी सन् 1926 में श्यामा से हुई थी, लेकिन टीबी की लंबी बीमारी के बाद उनका निधन 1936 में हो गया था। फिर सन् 1941 में हरिवंश राय बच्चन जी ने एक सामाजिक कार्यकर्ता तेजी सूरी से शादी की थीं। उनके दो बच्चे अजिताभ बच्चन और अमिताभ बच्चन हैं, जो भारतीय फिल्म उद्योग के लोकप्रिय अभिनेता और सुपरस्टार के रूप में जाने जाते हैं। अमिताभ का नामकरण पंतजी ने किया था। बच्चन जी के शब्दों में तेजी तो बड़ी तीव्र गति से बदल रही थीं। मैंने उन्हें प्रेयसी के रूप में जाना ही था कि वे पत्नी हो गईं, पत्नी होते उन्हें देर नहीं लगी कि उनमें मातृत्व का बीजारोपण हो गया। नारी बड़ी लचीली होती है, वह परिवर्तनों को बड़ी आसानी से झेल लेती है। पुरुष इतना नमनीय नहीं होता।
प्रेमी से पति और पति से भविष्य पिता इस परिवर्तन के प्रत्यक्ष होने पर भी मेरा मन अभी अपने प्रेमी रूप पर ही अटका था। विवाह के कई वर्षों बाद तक जो मैं प्रेम की कविताएं लिखता रहा, शायद उसका एक रहस्य यही है। फिर मैं कवि था, कलाकार था। मेरे भौतिक जीवन के विकास के साथ, समानांतर मेरा एक वांगमय जीवन भी चल रहा था। जीवन सहसा घटित का अनभ्यस्त नहीं, कला की दुनिया उससे अपनी पटरी नहीं बिठा पाती। मेरे वांगमय जीवन को कला की सहज, स्वाभाविक, क्रमानुगत गति से ही बदलना था। इसकी ओर शायद मैं पहले भी संकेत कर चुका हूं। मुझे समझने में थोड़ा मेरे कवि को भी समझना होगा।
हरिवंश राय के उल्लेखनीय कार्य, लेखन और पुरस्कार : सन् 1966 में उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। सन् 1935 में उनकी कविता 'मधुशाला' के कारण हरिवंश राय बच्चन ख्यात हुए। यह रचना तब से लेकर आज तक पाठकों के बीच लोकप्रिय है। उनकी अन्य रचनाओं में मधुकाव्य, मधुकलश, खादी के फूल प्रमुख हैं। हरिवंश राय जी ने अपनी आत्मकथा चार खंडों में लिखी। ये खंड सन् 1969 से 1985 की अवधि में प्रकाशित हुए। इनके नाम हैं- 'क्या भूलूं क्या याद करूं' (जन्म 1936 तक), 'नीड़ का निर्माण फिर' (1951 तक), 'बसेरे से दूर' (1955 तक) और 'दशद्वार से सोपान तक' (1985 तक) डॉ. हरिवंश राय बच्चन को साहित्य अकादमी पुरस्कार, प्रथम सरस्वती सम्मान, लोटस पुरस्कार (अफ्रीका-एशिया लेखक संघ कॉन्फ्रेंस का), साहित्य वाचस्पति उपाधि तथा पद्म भूषण सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
हरिवंश राय बच्चन का निधन : काफी लंबे समय तक बीमार रहने के बाद 95 वर्ष की उम्र में 18 जनवरी 2003 को मुम्बई (महाराष्ट्र) में हरिवंश राय बच्चन का निधन हुआ था।
हरिवंश राय बच्चन की लोकप्रिय कविता :
'मधुशाला'
मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीनेवाला,
'किस पथ से जाऊं?'
असमंजस में है वह भोलाभाला;
अलग-अलग पथ बतलाते सब
पर मैं यह बतलाता हूं-
'राह पकड़ तू एक चला चल,
पा जाएगा मधुशाला'।
पौधे आज बने हैं साकी
ले-ले फूलों का प्याला,
भरी हुई है जिनके अंदर
परिमल-मधु-सुरभित हाला,
मांग-मांगकर भ्रमरों के दल
रस की मदिरा पीते हैं,
झूम-झपक मद-झंपित होते,
उपवन क्या है मधुशाला!
एक तरह से सबका स्वागत
करती है साकीबाला,
अज्ञ-विज्ञ में है क्या अंतर
हो जाने पर मतवाला,
रंक-राव में भेद हुआ है
कभी नहीं मदिरालय में,
साम्यवाद की प्रथम प्रचारक
है यह मेरी मधुशाला।
छोटे-से जीवन में कितना
प्यार करूं, पी लूं हाला,
आने के ही साथ जगत में
कहलाया 'जानेवाला',
स्वागत के ही साथ विदा की
होती देखी तैयारी,
बंद लगी होने खुलते ही
मेरी जीवन-मधुशाला!
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