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13 कालजयी किताबें, जो पढ़ी जाती हैं आज भी

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साहित्य क्या है? महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद कहते हैं, जिसे पढ़कर हमारी रूचि न जागे, हमारा सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जिसे पढ़कर आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हममें गति और शांति पैदा न हो, जो हममें सच्चा संकल्प और कठिनाइयों पर विजय पाने की सच्ची दृढ़ता उत्पन्न न करे वह साहित्य नहीं है, साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है। 
सदियों से इस देश में साहित्य की सृजनात्मक और यशस्वी परंपरा रही है। गढ़े गए हैं असंख्य शब्द, कहे-अनकहे भावों को संयोजित कर, रची गई हैं कृतियां अपने समय को समेट कर... बीते साल भी रचनाओं का अंबार लगा।

इस सबके बीच कुछ कालजयी कृतियां जो बरसों पहले लिखी गई हैं पर आज भी उतनी ही चाव से पढ़ी और सराही गई हैं। बीते साल भी सुप्रतिष्ठित भारतीय साहित्यकारों की कुछ किताबें पुस्तक प्रेमियों ने पुस्तकालय से लेकर इंटरनेट खंगालने तक और दोस्तों से लेकर खुद खरीद कर भी पढ़ी है। हम लाए हैं आपके लिए 13 ऐसी किताबों की सूची जो हिन्दी प्रेमियों में आज भी पूरी दिलचस्पी से पढ़ी और सहेजी जाती हैं। 
 
गोदान : प्रेमचंद 
चंद्रकांता संतति : देवकीनंदन खत्री 
मृत्युंजय : शिवाजी सावंत  
युगंधर : शिवाजी सावंत  
चिदंबरा : सुमित्रानंदन पंत 
राग दरबारी : श्रीलाल शुक्ल 
कामायनी : जयशंकर प्रसाद
यामा : महादेवी वर्मा 
मधुशाला : हरिवंशराय बच्चन 
मैला आंचल : फणीश्वरनाथ रेणु 
उर्वशी : रामधारी सिंह दिनकर 
ययाति : विष्णु सखाराम खांडेकर 
वोल्गा से गंगा : राहुल सांस्कृत्यायन 

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