Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 : लोहे का स्वाद लुहार से नहीं, घोड़े से पूछना चाहिए

हमें फॉलो करें इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 : लोहे का स्वाद लुहार से नहीं, घोड़े से पूछना चाहिए
webdunia

नवीन रांगियाल

(आशुतोष दुबे की कवि लीलाधर जगूड़ी के साथ चर्चा)
 
संस्कृत पूजा पाठ की भाषा नहीं है, संस्कृत न होती तो भी पूजा पाठ होता दुनिया में। उस भाषा की खूबी शब्द निर्माण की कला। इस भाषा में वाक्य विन्यास को दूसरे ढंग से कह सकते हैं। 
 
वरिष्ठ कवि आशुतोष दुबे के साथ कवि लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि 
 
 कविता में जो चल रहा है उसे नकारा जाए। अकविता ने हिंदी भाषा की कविता को खत्म कर दिया। कविता जीवन का फटा हुआ जूता है। कभी ऐसी उपमा न सुनी हो ऐसी उपमा हो, इसका अपना सौन्दर्य है। आप गाली को भी कविता बना सकते हैं बशर्ते इसमें सौंदर्य हो। कुछ नया होना चाहिए। देखिए बीटल्स जब आए तो वे नंगे पैर चलते थे, बगैर जूतों के। दुनिया ने समृद्ध देश के नौजवानों को जब बिना जूतों के घूमते देखा तो दंग रह गए। यह एक नया काम था, यह अकविता थी। 
 
कविता अपने आप मे बड़ी होती है, गद्य में भी कविता का स्वाद है। निर्मल वर्मा को पढ़ने पर पता चलेगा कि उनके गद्य में भी कविता की सुंदरता है। उसका स्वाद भी आपको लेना होगा ठीक उसी तरह जैसे धूमिल ने कहा था कि...
 
'लोहे का स्वाद लुहार से मत पूछो, लोहे का स्वाद उस घोड़े से पूछो जिसकी लगाम में लोहा है'
 
- किताबों के शीर्षक के बारे में?
 
अपनी किताबों के शीर्षक के बारे में लीलाधर कहते हैं

इसमे संस्कृत का योगदान है। संस्कृत में तर्क की भाषा का विशेष महत्व है। कथन भी विशेष है। कथन विशेष की तार्किकता से कविता बनेगी। टेढ़ा मेढ़ा लिखना ही कविता नहीं है, विज्ञापन भी टेढ़े मेढ़े होते हैं लेकिन वे कविता नहीं हो गए। उसमें सुंदरता होना चाहिए। भाषा की सुंदरता होना चाहिए। तभी कविता आएगी। 
 
- लेखक होना क्या है? 
 
हर चीज़ में एक नई बात ढूंढना ही लेखक होना है। एक खोज करना ही लेखक होना है, और कवि होना तो और भी मुश्किल है। नारकीय जीवन के बगैर तो कवि हो ही नहीं सकता कोई। 
 
- कविता का नुकसान
 
कविता में तत्कालिता का दबाव है, क्यों, क्या कविता बदल रही है? 

कविता का एक नुकसान हुआ है कि वे आलोचकों के बताए हुए तरीके से लिखते हैं। आलोचकों की पसंद के हिसाब से लिखी गई कविताओं से कविता का नुकसान हुआ है। आलोचकों को परेशान करने वाली कविता होना चाहिए। जिंदगी में और भी पहलू है उन पर भी लिखा जाना चाहिए। सिर्फ स्त्री सौंदर्य, या गरीबी या सिर्फ स्त्री ही कविता का विषय नहीं है। 
 
- तुलसीदास से बड़ा कोई कवि नहीं
 
कबीर ने स्त्री विरोध में कई दोहे हैं, तुलसीदास जी आज तक अपनी एक पंक्ति के लिए गाली खा रहे हैं। तो कविता का असर सदियों तक रह सकता है। बशर्ते वह उस ताकत, प्रभाव और सौंदर्यता से लिखा गया हो। तुलसीदास से बड़ा कवि पूरी दुनिया में नहीं है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

health tips for cold season : खूबसूरत मौसम है ठंड, अगर इन 9 बातों को रखा ध्यान में