Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

राष्ट्र के सम्मान का राष्ट्रगान : जन गण मन

Advertiesment
हमें फॉलो करें जन गण मन
राष्ट्रगीत हो या राष्ट्रध्वज देशवासियों के आन-बान और शान के साथ प्रेरणा स्रोत होता है। जो राष्ट्रीय सार्वभौमिकता का प्रतीक है। राष्ट्र के सम्मान का राष्ट्रगान "जन गण मन" तमाम हिन्दुस्तानियों की शान और जोश का संचार करने वाला ऐसा ही राष्ट्रगान है जो रग-रग में जोश भरता है। 
राष्ट्रीयता से ओतप्रोत इस राष्ट्रगीत को बंगाली साहित्यकार और नोबल पुरस्कार से सम्मानित गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने दिसंबर 1911 में लिखा जिसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकाता सालाना अधिवेशन में यानी 27 दिसंबर 1911 को गाया गया।

रवींद्रनाथ टैगोर संपादित 'तत्वबोधिनी' पत्रिका में "भारत विधाता" शीर्षक से जनवरी 1912 में पहली दफा यह गीत मशहूर हुआ। खुद रवींद्रनाथ टैगोर ने इसका अंग्रेजी अनुवाद 'दि मॉर्निंग सांग ऑफ इंडिया' शीर्षक से 1919 में किया था और इसके हिन्दी अनुवाद को 24 जनवरी 1950 में राष्ट्रगान का दर्जा प्रदान किया गया। 
 
'जन गण मन' में लबरेज राष्ट्रीयता की पोषक, स्फूर्तिदायक भावना को ध्यान में रखते हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अपनी आजाद हिंद फौज में 'जय हे' नाम से इस गीत को स्वीकार किया। आजादी की जंग के दौरान 'वंदे मातरम' इस राष्ट्रीय गीत ने हिन्दुस्तानी आजादी की जंग में चैतन्य पैदा कर दिया था। 
 
लेकिन फिर भी कुछ अपरिहार्य कारणों के चलते इसे राष्ट्रगान के बतौर भले ही स्वीकार न किया जा सका, लेकिन भारतीय जनमानस में राष्ट्रगान जितनी ही अहमियत 'वंदे मातरम्‌' को भी हासिल है। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ। उस वक्त हमारे पास अपना राष्ट्रगान नहीं था। 
 
आजाद हिन्दुस्तान संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य था। जिसके चलते संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रम में भारतीय शिष्टमंडल को भी आमंत्रित किया गया। इस शिष्टमंडल को हिन्दुस्तान के राष्ट्रगान को संयुक्त राष्ट्र संघ कार्यक्रम में पेश करने के लिए कहा गया। लेकिन राष्ट्रगान तो अस्तित्व में ही नहीं था, सो भारत सरकार ने रवींद्रनाथ टैगोर लिखित 'जन गण मन' गीत को कार्यक्रम में पेश करने हेतु स्वीकार किया। 
 
संयुक्त राष्ट्र संघ में यह राष्ट्रगान बेहद कामयाब रहा। जिसे ध्यान में लेते 24 जनवरी 1950 को भारत की संविधान समिति में 'जन गण मन' को भारत के राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया। इस पूरे राष्ट्रगीत में 5 पद हैं। प्रथम पद, जिसे सेनाओं ने स्वीकार किया और जिन्हें साधारणतया समारोहों के मौकों पर गाया जाता है। 
 
आज जब देश महासत्ता बनने की दौ़ड़ में कदम बढ़ाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी की बुलंदियों को छू रहा है, तब इसके विकास की बुनियाद भौतिक विकास, नैतिक तत्वज्ञान और आदर्श के मूलभूत सिद्धांतों और सार्वभौमिकता के मूल्यों पर आधारित होना बेहद जरूरी है। जिन मूल्यों का दिव्यभव्य प्रतीक है देश का राष्ट्रगान 'जन गण मन'।
 
दुनिया की अव्वल सर्च इंजन वेबसाइट गूगल के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र की शैक्षणिक, वैज्ञानिक व कला से जु़ड़ी वैश्विक संस्था यूनेस्को ने दुनिया की अव्वल सर्च इंजन वेबसाइट गूगल के माध्यम से यूनेस्को एंड इंडिया नेशनल एंथम की साइट पर "जन गण मन" को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान बताया हैं। आर्थिक-सामाजिक नजरिए से परिपूर्ण इस राष्ट्रगान में सांप्रदायिक सद्भाव झलकता है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कभी सुने हैं तनाव के फायदे? जानें 5 कारण