कुछ मौतें ऐसी होती है जो ताउम्र रहस्य बनी रहती है। गुदड़ी के लाल, लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में मौत ऐसा ही एक रहस्य है जो 46 वर्ष बाद आज भी रहस्य ही बना हुआ है। सरकार गोपनीयता एवं विदेशी संबंधों का हवाला देकर इसे उजागर करने से इंकार कर रही है, लेकिन उनके परिवार के सदस्य इस रहस्य पर से पर्दा उठाने की मांग कर रहे है।
लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र नेता अनिल शास्त्री ने कहा कि मेरी मां (ललिता) को शुरू से ही संदेह था कि उनका (शास्त्री जी का) निधन स्वाभाविक नहीं है। इस मामले में जांच में काफी विलंब हो चुका है, लेकिन अभी भी काफी कुछ किया जा सकता है। सच तो बाहर आना ही चाहिए।
उन्होंने संदेह जताया कि उस समय शास्त्रीजी की देखरेख में लापरवाही बरती गई क्योंकि यह कैसे संभव है कि प्रधानमंत्री के कमरे में टेलीफोन और चिकित्सा सुविधा नहीं हो।
उन्होंने कहा कि 70 के दशक में जनता पार्टी की सरकार ने आश्वासन दिया था कि सच सामने लाया जाएगा, लेकिन तत्कालीन गृह मंत्री चरण सिंह ने उस समय कहा था कि ऐसे कोई प्रमाण नहीं है।
अनिल शास्त्री ने कहा कि इस मामले में आज की तारीख में शास्त्रीजी के साथ के कई लोग जीवित नहीं है। उनके चिकित्सक रहे डॉ. चुग के पूरे परिवार की दिल्ली के रिंग रोड में सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है।
शास्त्रीजी के संयुक्त सचिव रहे सी.पी. श्रीवास्तव ने इस विषय पर एक पुस्तक लाइफ ऑफ ट्रूथ इन पॉलिटिक्स लिखी है।
उन्होंने कहा, इन सभी परिस्थितियों का खुलासा होना चाहिए और संदेह के बादल छंटने चाहिए।शास्त्री ने कहा कि कुछ समय पहले सूचना के अधिकार कानून के तहत इस बारे में मांगी गई जानकारी के जवाब में सरकार ने कहा था कि यह दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए जा सकते, क्योंकि इससे विदेश संबंध प्रभावित होंगे और यह देशहित में नहीं होगा।
उन्होंने कहा, कम से कम दस्तावेज तो सार्वजनिक किए ही जा सकते है, इसमें कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। सूचना के अधिकार के तहत अनुज धर ने शास्त्रीजी के निधन के बारे में जानकारी मांगी थी। सरकार से जानकारी नहीं मिलने के बाद अब अनुज धर एंड दी सिक्रेसी डॉट कॉम ब्लॉग के माध्यम से अभियान चला रहे हैं।
गौरतलब है कि 11 जनवरी 1966 को लाल बहादुर शास्त्री की तत्कालीन सोवियत संघ के ताशकंद में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। वह पाकिस्तान के साथ संधि करने वहां गए थे। इस मामले में वहां उनकी सेवा में लगाए गए एक बावर्ची को हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया।