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स्व. रतनलाल जोशी जन्म शताब्दी समारोह संपन्न

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राजगढ़ जिले की माटी में जन्मे वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार स्व. रतनलाल जोशी के जन्म शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में 19 जून को राजगढ़ में एक गरिमामयी समारोह संपन्न हुआ। 
जिला प्रेस क्लब के तत्वाधान में राजगढ़ स्थित होटल संस्कृति में यह समारोह, स्व. रतनलाल जोशी के पत्रकारिता एवं साहित्य के क्षेत्र में योगदान को याद करने, पत्रकारिता जगत की नई पीढ़ी व समाज को उनके व्यक्तित्व के अनछुए पहलुओं से ज्ञात कराने, उनके और आज के दौर की पत्रकारिता पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से रखा गया। समारोह में अतिथि के रूप में श्री राजेन्द्र शुक्ल जनसंपर्क, ऊर्जा मंत्री म.प्र. शासन, श्री भगवत शरण माथुर राष्ट्रीय संगठन मंत्री भाजपा, नई दिल्ली, श्री महेश श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार भेपाल, श्री रोडमल नागर सांसद उपस्थित रहे। कार्यक्रम में स्व. श्री रतनलाल जोशी की सुपुत्री श्रीमती शांतिदेवी शर्मा, नई दिल्ली भी विशेष रूप से उपस्थित रहीं। 
 
पद्मभूषण रतनलाल जी जोशी : एक परिचय 
पद्मभूषण रतनलाल जी का जन्म पराधीन भारत में हुआ था। उस दौर में भारतीयों का अंग्रेजी हुकूमत से संघर्ष प्रभावी तौर पर चल रहा था। उनकी आरंभिक शिक्षा राजगढ़ में हुई। उच्च शिक्षा हेतु वे इलाहाबाद चले गए। उस समय उनकी उम्र लगभग 15 वर्ष थीं। कॉलेज में पढ़ने के दौरान वे स्वतंत्रता सेनानियों को गांव का दूध वाला बन कर संदेश पंहुचाया करते थे। कई बार उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 
 
मार्च 1952 में अत्यंत कलात्मक और साहित्यिक पत्रिका नवनीत आरंभ की। नवनीत भारत की प्रथम हिन्दी डाइजेस्ट थी। इसके पश्चात उन्होंने सारिका के नाम से स्तरीय पत्रिका आरंभ की। सारिका ने उस समय के कहानीकारों को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाई। 1963 में जोशी जी दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिन्दुस्तान के प्रमुख संपादक नियुक्त हुए। वे 14 वर्षों तक हिन्दुस्तान के संपादक रहे।

उनके संपादकीय परामर्श पर सरकारों ने अपनी नीतियां और आदर्श बदले। उनके संपादकीय में दर्शन, राजनीति व साहित्य के रंगों का विलक्षण मिश्रण होता था। वे हिन्दी, अंग्रेजी,संस्कृत, बांग्ला, अवधी, फारसी, उर्दू, फ्रेंच, जर्मन आदि भाषाओं के अच्छे जानकार थे। उन्हें भारत में राष्ट्रपति द्वारा पद्मभूषण तथा विविध संस्थाओं ने कई सम्मानों से अलंकृत किया गया। उन्होंने अमेरिका, कनाड़ा, यूरोप, एशिया, चीन, ईजराइल, अरब आदि देशों का विस्तृत भ्रमण किया। आपकी दो पुस्तकें प्रेरणा की गंगोत्री और फूलों से भरी झोली साहित्य जगत की धरोहर है। 

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