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Shashi Tharoor wins Sahitya Akademi Award 2019 : ‘ब्रिटिश राज’ पर तंज है शशि थरूर की ‘एन एरा ऑफ डार्कनेस’

हमें फॉलो करें Shashi Tharoor wins Sahitya Akademi Award 2019  : ‘ब्रिटिश राज’ पर तंज है शशि थरूर की ‘एन एरा ऑफ डार्कनेस’
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नवीन रांगियाल

शशि थरूर। एक अंग्रेजीदां व्‍यक्‍तित्‍व। उन्‍हें ज्‍यादातर अपनी क्‍लिष्‍ट अंग्रेजी भाषा के लिए जाना जाता है। उनके ट्वीट को समझने के लिए डिक्‍शनरी खोलना पड़ती है, उनके अंग्रेजी के शब्‍द अखबारों में हैडिंग बनते हैं। और उन्‍हें लड़कियों के साथ सेल्‍फी के लिए भी जाना जाता है। अभी कुछ ही दिनों पहले शशि थरूर अपनी किताब ‘मैं हिन्‍दू क्‍यों हूं’ को लेकर चर्चा में थे, इसके पहले वे ‘द पैराडाक्‍सिकल प्राइम मिनिस्‍टर’ को लेकर सुर्खियों में थे। 
 
इस बार वे अपनी किताब ‘एन इरा ऑफ डार्कनेस’ को लेकर खबरों में हैं। हालांकि यह किताब साल 2016 में लिखी गई थी। ब्रिटेन में यह किताब ‘एनग्‍लोरियस एम्‍पायर : व्‍हाट द ब्रिटिश डिड टू इंडिया’ नाम से प्रकाशित हुई थी। थरूर की इस किताब के लिए उन्‍हें साल 2019 में अंग्रेजी भाषा में योगदान के लिए ‘साहित्‍य अकादेमी सम्‍मान’ देने की घोषणा की गई है। 
 
क्‍या है 'एन एरा ऑफ डार्कनेस' में : थरूर की यह किताब जब ब्रिटेन में ‘एनग्‍लोरियस एम्‍पायर’ नाम से प्रकाशित हुई तो करीब 6 महीने में ही इसकी 50 हजार से ज्‍यादा कॉपियां बिक गई थी। अब ‘एन इरा ऑफ डार्कनेस’ को साहित्‍य अकादेमी सम्‍मान दिया जाएगा। थरूर ने अपनी इस किताब में ब्रिटिश राज पर ‘सटायर’ किया है। उन्‍होंने किताब में 1857 की क्रांति, 1919 का जलियांवाला बाग, ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में आना और फिर अंग्रेजों का भारत से चले जाना, इन सभी घटनाओं की स्‍टोरी टेलिंग की है जिसकी वजह से इसे बेहद पसंद किया जा रहा है। भारत में अंग्रेजी शासन काल की घटनाओं का व्‍यंग्‍यात्‍मक शैली में यह किताब एक महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज है।

किस्‍सों के सहारे थरूर ने किताब में लिखा कि भारत के लिए ब्रिटिश शासन कितना विनाशकारी था। उन्‍होंने इसमें कपड़ा, इस्‍पात निर्माण का जिक्र ‍किया है और उन्‍होंने ब्रिटिश शासन के प्रजातंत्र और राजनीतिक स्वतंत्रता, व्यवस्था और रेलवे के लाभों के तर्कों को भी खारिज किया है।

शशि थरूर की यह किताब हिन्‍दी में 'भारत में ब्रिटिश राज : अंधेरे में एक युग' के नाम से अनुवाद हुई है। मराठी में भी इसका अनुवाद हुआ है। कुल मिलाकर इतिहास में तमाम तरह की मिथ्‍या और अफवाहों के बारे में थरूर की यह किताब एक विश्‍वसनीय दस्‍तावेज की तरह काम करेगी। साहित्‍य अकादेमी का मिला सम्‍मान इस बात को पूरी तरह पुख्‍ता भी करता है।

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