पुस्तक पठन पाठन की परंपरा से सृजन कहां से कहां पहुंचा, इस पर बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकारों एवं संपादकों के शुभ हस्ते चार पुस्तकों का लोकार्पण संपन्न हुआ। हाइकु संग्रह मंगल घट, साझा हाइकु संग्रह प्रवाह, मेरे जज्बात गजल संग्रह एवं हिन्दी उपन्यासों में नारी पात्र का लोकार्पण विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के मधुरम सभागृह में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में "राजी खुशी" एवं "मूल्यानुगत मीडिया" के संपादक वरिष्ठ पत्रकार एवं माखनलाल पत्रकारिता वि.वि. के पूर्व प्राध्यापक श्री कमल दीक्षित जी उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सागर खादी वाला जी ने की।
सृजन बिंब नाम से नागपुर में नए प्रकाशन का शुभारंभ "प्रवाह","मेरे जज्बात" एवं "हिंदी उपन्यासों में नारी पात्र" इन तीन पुस्तकों से हुआ। विदुषी साहित्यकार स्वर्गीय डॉ. करूणा उमरे की अंतिम कृति "मंगल घट" का लोकार्पण भी इस अवसर पर किया गया। यह कार्यक्रम स्व.डॉ करूणा उमरे की स्मृति को समर्पित किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश चौबे और लोहिया अध्ययन केंद्र के सामाजिक चिंतक श्री हरीश अड्यालकर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि मंचासीन ये हस्ताक्षर श्री कमल दीक्षित के पुराने पत्रकार मित्र हैं जिनके साथ 22 वर्ष पूर्व दीक्षित जी ने नागपुर में पत्रकारिता की थी।
वरिष्ठ उद्घोषक श्री किशन शर्मा का मंच पर उपस्थित होना, कार्यक्रम की गरिमा को द्विगुणित कर गया। वहीं नगर के साहित्यिक लोगों की अच्छी उपस्थिति ने लोकार्पण समारोह को पूरा मान दिया। अनिल मालोकर एवं सुरभि सिंह के सुंदर संचालन में आयोजक सृजन बिंब प्रकाशक अविनाश बागड़े एवं रीमा दीवान चड्ढा़ ने अपना मंतव्य प्रकट किया। नागपुर में साहित्य सृजन को पुस्तकों के रूप में पाठक तक पहुंचाने के उद्देश्य में इस छोटे से प्रयास के साथ सृजन बिंब सतत् प्रयत्नशील रहेगा।
मुख्य अतिथि श्री कमल दीक्षित जी को सृजन बिंब की तरफ से एक आकर्षक स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। इस अवसर पर पुस्तक के चित्रकार/मुद्रक श्री सी.डी. शिवणकर, पर्यावरण प्रेमी अशोक तेवानी, विदुषी सुधा राठौड का अभिनंदन किया गया।
वरिष्ठ पत्रकार पूर्णिमा पाटिल, हिंदी महिला समिति की अध्यक्षा रति चौबे जी, राष्ट्र पत्रिका के संपादक कृष्ण नागपाल जी ,डॉ हरभजन सिंह हंसपाल जी की पत्नी एवं पुत्र चंचल हंसपाल ,विदुषी इंदिरा किसलय, दीप्ति कुशवाह राकेश भैया, विनय मोहंता एवं अन्य कई साहित्यकार उपस्थित थे। नीलम शुक्ला, रेशम मदान, सुधा विज, भावना अरोरा, विम्मी जग्गी एवं कविता सिंघल का सहयोग अतुलनीय रहा।