छत्तीसगढ़ के जाने माने साहित्यकार तेजिंदर गगन का कल देर रात हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया।वह लगभग 67 वर्ष के थे।
पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार श्री तेजिंदर को देर रात अटैक आने पर पड़ोस के एक चिकित्सक ने उनकी देख-रेख की लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। अपने पीछे वह पत्नी दलजीत गगन पुत्री समीरा को छोड़ गए है।
दूरदर्शन में निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए श्री तेजिंदर कुछ समय तक वे एक अखबार के लिए लेखन भी करते रहे।वह काफी सक्रिय रहते थे और साहित्यिक एवं अन्य कार्यक्रमों में निरन्तर भाग लेते थे।
श्री तेजिंदर के कई उपन्यास प्रकाशित हुए है जिनमें वह मेरा चेहरा, काला पादरी, सीढियों पर चीता, हेलो सुजित (सभी उपन्यास) कहानी संग्रह घोड़ा बादल और काव्य संग्रह बच्चे अलाव ताप रहे हैं मुख्य है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने श्री तेजिन्दर गगन के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए यहां जारी शोक सन्देश में कहा कि वह अत्यंत सौम्य और सहज सरल स्वभाव के थे। उन्होंने मानवीय संवेदनाओं पर आधारित अपनी रचनाओं के माध्यम से देश और समाज की विभिन्न समस्याओं को रेखांकित किया और जनता को उन पर चिंतन करने और समाज को सही दिशा में चलने की प्रेरणा दी।