अपनी भाषा, अपना गौरव
अपने बारे में कुछ शब्द
वाणी प्रकाशन अपने 55 वर्ष के साहित्यिक-सांस्कृतिक सफर में हिन्दी के गौरव के लिए सक्रिय और संकल्पित है। हिन्दी विश्व की आज दूसरी बड़ी भाषा है। हम किताबों की बदलती दुनिया के साथ हमकदम हैं। वाणी प्रकाशन की गहरी प्रतिबद्धता अपने पाठकों तक पहुंचने की रही है। हमारी किताबों की उपस्थिति आज 3 लाख से अधिक गांवों, 2,800 कस्बों, 54 शहरों के साथ 12 मुख्य ऑनलाइन स्टोर्स के माध्यमों से पाठकों के बीच है। यह संतोष की बात है कि साहित्य अकादमी, नोबल पुरस्कार तथा अन्य राष्ट्रीय पुरस्कारों से संबंधित किताबें और उनके लेखक हमारे साथ हैं। आज प्रिंट, इलेक्ट्रॅानिक और ऑडियो प्रारूप की 6000 से अधिक किताबें पाठकों के लिए उपलब्ध हैं। ‘हिन्दी महोत्सव’का देश-विदेश में अनवरत आयोजन करने वाला वाणी फाउंडेशन पहला न्यास है।
विगत तीन वर्षों से यह महत्वाकांक्षी समारोह दिल्ली के अलावा यू.के. में भी किया गया है। वाणी फाउण्डेशन, यू.के., हिन्दी समिति, वातायन और यू.के. के सान्निध्य में वर्ष 2018 का आयोजन क्रमशः लन्दन ऑक्सफोर्ड, बर्मिंघम और स्लोह में हुआ, जिसे करने में वाणी फाउण्डेशन अग्रणी है।
‘वाणी फाउण्डेशन’की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है भारतीय भाषाओं से हिन्दी व अंग्रेजी में श्रेष्ठ अनुवाद का कार्यक्रम। इसके साथ ही इस न्यास के द्वारा प्रतिवर्ष डिस्टिंगविश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है जिसमें मानद पत्र और एक लाख रुपए की राशि अर्पित किए जाते हैं। वर्ष 2017 के लिए यह सम्मान सुप्रसिद्ध लेखिका अनामिका को दिया गया है।
‘वाणी फाउण्डेशन’पुस्तकों के प्रसार, विचार-विमर्श और आयोजन अभियान में ‘जयपुर बुक मार्क’ का विश्वस्त सहयोगी है। विश्व पुस्तक मेले में वाणी के स्टॉल पर जयपुर बुक मार्क साथ होगा।
विश्व पुस्तक मेले में हमारी चुनिंदा नई किताबें।
विश्व पुस्तक मेले के अवसर पर वाणी प्रकाशन कई महत्त्वपूर्ण किताबों के साथ पाठकों से रूबरू होगा। वर्ष 2019 में पाठकों के लिए जहां एक ओर स्थापित और युवा लेखकों के सृजनात्मक लेखन के नए आयाम व रंग होंगे, वहीं बदलते समय के प्रासंगिक विषयों की किताबें होंगी। इतिहास, समाजशास्त्र, धर्म, विज्ञान पर नए विमर्श का आलोक होगा। इन किताबों से नए विचार-विमर्श को केन्द्रीय परिदृश्य में लाने का एक सपना साकार होगा। दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक लेखकों ने चिंतन को एक नया परिप्रेक्ष्य दिया है और हमारी दृष्टि में ये विषय न केवल महत्त्वपूर्ण हैं बल्कि अपरिहार्य हैं। हिन्दी समाज को अधिक चिन्तनशील दिशा में ले जाना वाणी प्रकाशन का प्रमुख ध्येय है। आज समाज नये सत्यों के अन्वेषण का आकांक्षी है। इसका प्रतिबिंब साहित्य में भी आकार ले रहा है। अपने प्रयास में हम हाशिये के जीवन-समाज के प्रति अधिक संवेदनशील और गंभीर हैं। नई पीढ़ी यानि किशोर वर्ग और बच्चे हमारा भविष्य हैं। इनके अध्ययन की बदलती दिशाओं के गतिशील समय में हम बाल साहित्य को एक ओर सृजनात्मक, प्रयोगशील और प्रगतिशील नजरिए से प्रस्तुत कर रहे हैं तो वहीं युवा रचनाकारों की नई सोच को प्रस्तुत कर रहे हैं। कुल मिलाकर हिन्दी के नवजागरण को, हम विश्व स्तर ले जाने पर के लिए कटिबद्ध हैं।