इन दिनों बुकर प्राइज से सम्मानित गीतांजलि श्री के उपन्यास रेत समाधि की बहुत चर्चा है। इस उपन्यास के अंग्रेजी ट्रांसलेशन टूम ऑफ सेंड को बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है।
पुरस्कार के ऐलान के बाद रेत समाधि किताब की बिक्री भी जोरों पर है। इंदौर की ही बात करे तो यहां कई बुक स्टॉल संचालकों से जब वेबदुनिया ने चर्चा की तो दुकानदारों ने बताया कि इस किताब की मांग बढ गई है। हर दूसरा और तीसरा पाठक रेत समाधि की मांग कर रहे हैं।
आइए जानते हैं आखिर क्या खास है रेत समाधि उपन्यास की कहानी में।
रेत समाधि में डिप्रेशन से जूझ रही एक भारतीय महिला की कहानी है। वो किस तरह से बॉर्डर पार कर पाकिस्तान जाना तय कर लेती है, कैसे वह अपने को इस डिप्रेशन से निकालती है।
उपन्यास की मुख्य किरदार 80 साल की एक महिला हैं, जिसके पति की मौत हो चुकी है। इस मौत के बाद वृद्ध कथा नायिका डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं। यह डिप्रेशन इतना ज्यादा है कि वे अपने कमरे से भी बाहर नहीं निकलना चाहतीं है।
परिवार के लोग उसे डिप्रेशन से निकालने के लिए कई तरीके आजमाते हैं, लेकिन वे सफल नहीं हो पाते हैं।
ऐसे ही समय में अचानक वृद्धा नायिका पाकिस्तान जाना चाहती है। रिश्तों के ताने-बाने में बुना यह उपन्यास कई मुद्दों और विषयों के बारे में जिक्र करता है। लेखिका गीतांजलि श्री के पास एक अच्छी भाषा, कहन और शैली है।