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बस, एक हाँ की गुजारिश, फिर खुशियों की बारिश

गीतकार प्रसून जोशी का गीत और प्रेरित कलाकृति

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रवींद्र व्यास

Ravindra VyasWD
जिंदगी में किसी से कोई गुजारिश करने का मौका न मिले तो फिर जिंदगी ही क्या। गुजारिश करने का अपना मजा है। अपनी कसक है। मीठी सी। गुजारिश जिंदगी को खूबसूरत बनाती है। कभी कभी दुःखदायी भी। लेकिन इसके आकर्षण से छुटकारा नहीं। लेकिन गुजारिश करने की भी अपनी अदा है। एक अंदाज है। गुजारिश यदि किसी खास अदा से और किसी खास अंदाज से की जाए तो हो सकता है वह कबूल हो जाए। गुजारिश कई रंगतों की होती है। गुजारिश कई महक की होती है। लेकिन मोहब्बत में की गई गुजारिश का अपना मजा होता है, अपना नशा होता है। यह भी एक तरह की धुन है। मधुर। जीवन को मधुर बनाते हुए लगातार बजती हुई एक धुन।

तो मोहब्बत में ये गुजारिश कई बार की गई हैं। कई तरह से की गईं हैं। हमारी फिल्में तो प्रेम-रस से हमेशा सराबोर रहती हैं। तो फिर इस प्रेम-रस में गुजारिश भी होगी। इधर बॉलीवुड के ख्यात गीतकार प्रसून जोशी ने भी एक खूबसूरत गुजारिश की थी फिल्म 'गजनी' में।

हिंसा से भरी इस फिल्म में यह गीत किसी सुर्ख गुलाब की तरह खिलता है और महकाए रखता है। प्रेम में यह एक हाँ की गुजारिश है। लेकिन गुजारिश करने के पहले एक प्यारी सी बात है। इस बात को प्यास, रास और पास की तुकबंदी से बनाया गया है। फिर तंग, रंग और संग की तुकबंदी है। इससे एक बात पूरी होती है। ये बातें गुजारिश करने की हिम्मत देती हैं। जैसे इन्हीं बातों से प्रेमी प्रेमिका को कन्विंस करने की कोशिश कर रहा कि मेरी हालत इतनी खराब है लिहाजा मैं ये गुजारिश कर रहा हूँ।

तू मेरी अधूरी प्यास प्यास
तू आ गई मन को रास रास
अब तो तू आ जा पास पास...
है गुजारिश...

है हाल तो दिल का तंग तंग
तू रंग जा मेरे रंग रंग
बस चलना मेरे संग संग
है गुजारिश..
.
यहाँ तो तक तो प्रेमी कह देता है लेकिन उसे लगता है सिर्फ गुजारिश करने से काम नहीं चलेगा। उसका ख्याल है कि बात कुछ बन नहीं रही है। लिहाजा कुछ और हिम्मत बटोरकर वह बात को साफ साफ कहने की प्यारी सी कोशिश करता है। देखिए किस तरह-

कह दे तू हाँ तो ज़िन्दगी
चैनों से छूट के हँसेगी
मोती होंगे मोती राहों में
ये येह येह ...तू मेरी अधूरी ...

तो ये गुजारिश एक हाँ की गुजारिश है। हाँ नहीं तो जीवन बर्बाद। और अगर हाँ हो जाए तो जिंदगी चैनों से छूटकर हँसेगी और रास्ते मोतियों से भर जाएँगे। एक सहज कल्पना। सरल शब्दों में आकार लेती हुई। सुंदर भावों में धड़कती हुई...। लेकिन इसके बाद कुछ डर है, कुछ आशंकाएँ हैं बावजूद एक हाँ की गुजारिश है।

शीशे के ख्वाब ले के
रातों में चल रहा हूँ
टकरा ना जाऊँ कही

आशा की लौ हैं रोशन
फिर भी तूफाँ का डर है
लौ बुझ न जाए कहीं

बस एक हाँ की गुजारिश...
फिर होगी खुशियों की बारि

एक हाँ की गुजारिश के बाद पहले मोतियों की बात थी अब वह लुभाने की अदा के साथ कह रहा है कि हाँ कह दे तो होगी खुशियों की बारिश। एक भीगा अहसास। बारिश की लय के साथ। लेकिन इसके बाद फिर फिर डर घेर लेता है, आशंकाएँ डरा जाती हैं। अकेलेपन का अहसास घना हो रहा है और तन्हाई डस रही है। यह हाले दिल है जो गुजारिश करते हुए बताया जा रहा है। अजब दास्तान में वहाँ बस बेचैनियाँ ही बेचैनियाँ हैं। बस इन तमाम डर से, तमाम आशंकाओं से तेरी एक हाँ ही बचा सकती है।

चंदा है आसमाँ है
और बादल भी घने हैं
यह चंदा छुप जाए न

तन्हाई डस रही है
और धड़कन बढ़ रही है
एक पल भी चैन आए

कैसी अजब दास्तान है
बेचैनियाँ बस यहाँ हैं

तू मेरी अधूरी ...

बस एक हाँ की गुजारिश
इस गुजारिश को सुनिए जो जिंदगी को खूबसूरत बनाती है। इसमें आपको शायद अपनी कोई गुजारिश गूँजती सुनाई देगी।

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