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सुन तो जरा मदहोश हवा तुझसे कहने लगी...

संगत में अब्बास टॉयरवाला का अदिति गीत और कलाकृति

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रवींद्र व्यास

Ravindra VyasWD
सचुमच, हमारे पास इस बात के लिए कभी-कभी कोई तर्क नहीं होता कि हमें कोई क्यों अच्छा लगता है। अच्छा लगने कि इतनी मामूली वजहें हो सकती हैं कि कोई सहसा विश्वास नहीं करे। आपको कोई लड़की सिर्फ इसी वजह से अच्छी लगने लगती है कि वह जब चलती है तो उसकी चुन्नी का पल्लू जमीन पर सरकता रहता है और उसकी न सुनाई देने वाली सरसराहट आपके दिल एक मीठी सुरसुराहट से भर देती है।

या इसलिए कि ऑफिस में वह कभी-कभी नंगे पैर चलती है क्योंकि बारिश के पानी से उसकी चप्पलें गीली हो चुकी हैं। या कि अपनी टेबल पर झुकी हुई वह छींकती रहती है और उसे दूसरे रूमाल की जरूरत महसूस होती रहती है। या कि एक प्यारी सी लट उसके गालों को छूती रहती है, या कि एक तिल हंसने पर और ज्यादा दिखता है या कि वह जब बोलती है तो उसकी आवाज एक फुसफुसाहट लगती है या कि उसका रंग न गोरा न काला है, न गेहूँआ न साँवला और एक अजब रंग में धूप में खिली वह और भी दिलकश नजर आती है।

और यह बात उस लड़की के लिए भी पूरी तरह सच है जिसके जेहन में कोई उसे बहुत प्यारा लगता है। सचमुच कभी कभी अच्छा लगने की वजहें इतनी मामूली हो सकती हैं जितना कि चलना, मुड़ना, हंसना, रोना या बोलना। कभी कभी जिंदगी में यूँ ही कोई अपना लगता है और एक गीत इन्हीं मामूली वजहों से शुरू होता है और मामूली बातें मामूली शब्दों में कहता है। मामूली अंदाज में कहता है लेकिन उसके कहन में एक प्यारी सी असाधारणता छिपी होती है क्योंकि वह प्रेम के खयाल से रोशन है। प्रेम ही किसी को असाधारण बना देता है और इसीलिए कभी कभी अदिति कोई बिछड़ जाए तो इक सपना लगता है। जाने तू या जाने ना का यह प्यारा सा गीत लिखा है अब्बास टॉयरवाला ने।

कभी कभी अदिति कोई यूँ ही अच्छा लगता है
कभी कभी कोई बिछड़ जाए तो इक सपना लगता है।
ऐसे में कोई कैसे अपने आँसुओं को बहने से रोके
और कैसे कोई सोच ले एवरीथिंग्स गोना बी ओक

सच है कि जिंदगी में मामूली वजहों से कोई इतना प्यारा लगने लगता है कि वह बिछड़े तो आँसुओं को रोकना मुश्किल हो जाता है। चूँकि यह फिल्म युवा को ध्यान में रखकर बनाई गई थी लिहाजा इसमें एक किशोरीय रूमानीपन भी है। प्यार, सपना और आँसू हैं। और बात प्रेम की है तो वह सबके दिलों को छूने की ताकत रखती है। जाहिर है प्रेम में ऐसा वक्त आता है जब न आँसू रोके जाते हैं और कुछ भी ठीक नहीं लगता है। खुशी और मजा खत्म हो जाता है जिंदगी एक सजा के माफिक लगती है। और हँसना जिंदगी में सबसे कठिन लगता है।

कभी कभी तो लगे जिंदगी में रही ना खुशी और न मजा
कभी कभी तो लगे हर दिन मुश्किल और हर पल एक सजा
ऐसे में कोई कैसे मुस्कुराए कैसे हँस दे खुश हो के
और कैसे कोई सोच दे एवरीथिंग्स गोना बी ओक

फिर कुछ ऐसा हो जाता है कि दूसरे के आँसू हमारे बन जाते है। आवाज कितनी भी खराब हो गला एक मीठा गीत गुनगुनाना चाहता है और दिल नई आशा और उमंग से चहक उठता है।

सोच जरा जाने जां तुझको हम कितना चाहते हैं
रोते हैं हम भी अगर तेरी आँखों में आँसू आते हैं
गाना तो आता नहीं है मगर फिर भी हम गाते हैं
के अदिति माना कभी कभी सारे जहां में अंधेरा होता ह
लेकिन रात के बाद ही तो सवेरा होता ह

और इसी आशा और उमंग में वह ताकत छिपी है जो दूसरों की वीरानी को, उजाड़ को, अंधेरे और उदासी को हमेशा हमेशा के लिए दूर कर देना चाहती है। और बस एक इच्छा जागती है कि वह हँस दे, थोड़ा सा मुस्कुरा दे।

हे अदिति हँस दे हँस दे हँस दे हँस दे हँस दे हँस दे तू जरा
नहीं तो बस थोड़ा थोड़ा थोड़ा थोड़ा थोड़ा थोड़ा मुस्कुर

और जब वह मुस्कुरा देती है, हँस देती है तो नजारा पूरी तरह बदल जाता है। कहते हैं प्रेम आपको भीतर से बदलता है। यही अंदरूनी बदलाव बाहरी नजारों में नई अर्थ, नई राहें खोज लेता है। जीवन का एक सरल सा दर्शन बन जाता है, यही दर्शन प्रेम का दर्शन बन जाता है। देखिए कितनी आम से लगने औऱ दिखने वाले दृश्यों के जरिये उम्मीदों की बातें की जाती है। किसी एक का खुश होना पूरी दुनिया में खुशी फैल जाने जैसा है, सूरज का निकलना जिंदगी बाँटने जैसा लगता है और मदहोश हो चुकी हवा गुनगुनाने लगती है फूल फिर खिल जाते हैं। रंग फिर खिल जाते हैं और दिल फिर मिल जाते हैं। तो मदहोश हवा बह रही है, सूरज निकलकर जिंदगी बाँट रहा है और फूल फिर खिल रहे हैं तो आप भी गुनगुनाए कि-

तू खुश है तो लगे जहां में छाई है खुशी
सूरज निकले बादलों से और बाँटें जिंदगी
सुन तो जरा मदहोश हवा तुझसे कहने लगी
के अदिति जाने तू या जाने ना फूल फिर खिल जाते हैं।

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