Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

भारत के वॉल्ट डिज्नी थे प्राण कुमार शर्मा

चाचा चौधरी के रचयिता पीछे छोड़ गए चित्रात्मक विरासत

हमें फॉलो करें भारत के वॉल्ट डिज्नी थे प्राण कुमार शर्मा
देशभर में ऐसा कोई और कार्टून चरित्र शायद ही हो जो सिर पर चटख लाल पगड़ी, चेहरे पर घनी मूंछों वाले छोटे से कद के चाचा चौधरी से ज्यादा प्रभाव रखता हो।

FILE


घर-घर में चर्चित चाचा चौधरी, एक ऐसा किरदार था, जो बच्चों और बड़ों सभी में समान रूप से प्रिय था। इस कार्टून किरदार ने उन भारतीयों को एक ऐसा स्वदेशी कार्टून दे दिया था, जिन्हें तब तक अपने मनोरंजन के लिए सिर्फ ‘फैंटम’ और ‘सुपरमैन’ जैसे विदेशी किरदारों की प्रतिकृतियों पर ही निर्भर रहना पड़ता था।

इस मशहूर किरदार के रचयिता प्राण कुमार शर्मा ने आज 75 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली। प्राण नाम से पहचाने जाने वाला यह रचयिता अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गया है, जिसका कोई सानी नहीं है। कॉमिक्स प्रेमियों का मानना है कि प्राण के जाने से कार्टूनों की दुनिया में एक ऐसा खालीपन पैदा हो गया है, जिसका भरना अब मुश्किल है। कैंसर से जूझ रहे प्राण का निधन गुड़गांव के अस्पताल में हुआ।

प्राण का जन्म वर्ष 1938 में गैर-विभाजित भारत में लाहौर के पास कासूर में हुआ था। प्राण ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1960 में एक कार्टूनिस्ट के तौर पर दिल्ली के अखबार ‘मिलाप’ की कॉमिक पट्टी ‘दब्बू’ से की। वर्ष 1969 में प्राण ने हिंदी पत्रिका ‘लोटपोट’ के लिए चाचा चौधरी का स्केच बनाया, जिसने उन्हें लोकप्रिय बना दिया।

webdunia
FILE


वर्ष 1981 में डायमंड कॉमिक्स के गुलशन राय ने प्राण से संपर्क किया और इस तरह उनका एक ऐसा सफर साथ शुरू हुआ जो अगले 35 सालों तक जारी रहा।

बहुत लोग अपने बचपन के उन वर्षों को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं, जब वे चाचा चौधरी और हमेशा उनके साथ रहने वाले साथी साबू के कारनामों, दुष्ट राका, साहसी चाची, नटखट बिल्लू और चुलबुली पिंकी, रमन और श्रीमती जी जैसे यादगार किरदारों के मनोरंजक किस्से पढ़ा करते थे। अपने पचास साल से भी ज्यादा के करियर में प्राण ने यादगार किरदार रचने के लिए कला और हास्य का एक सीधा और सरल तरीका अपनाया।

प्रसिद्ध कॉमिक्स के बैनर तले प्राण ने 500 से ज्यादा शीषर्क प्रकाशित किए। उनके 25000 से ज्यादा कॉमिक्स अंग्रेजी, हिन्दी और बंगाली समेत कुल 10 भाषाओं में छपे।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट्स के अनुसार, प्राण ने मुंबई के सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स में प्रशिक्षण लिया था और राजनैतिक विज्ञान में परास्नातक की डिग्री के अलावा उन्होंने फाइन आर्ट्स में चार वर्षीय डिग्री भी ली थी।

कार्टून निर्माण में उनके करियर की शुरूआत हिंदी पत्रिका ‘लोटपोट’ में साहसी मोटू और पतलू के चरित्रों के साथ हुई। यह लॉरेल और हार्डी का देसी रूप था।

उन्होंने दब्बू नामक किशोर लड़के और प्रोफेसर अधिकारी के किरदार भी गढ़े लेकिन चाचा चौधरी के किरदार ने उन्हें अमर ही कर दिया। चाचा चौधरी के बारे में मशहूर पंचलाइन ‘चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है’, आज भी इस किरदार के प्रशंसकों को याद है।

प्राण को कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। वर्ष 1995 में उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज किया गया था। इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट्स ने वर्ष 2001 में उन्हें ‘लाइफ टाईम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से नवाजा था। ‘द वर्ल्ड एनसाइक्लोपीडिया ऑफ कॉमिक्स‘ में प्राण को ‘‘भारत का वॉल्ट डिज्नी’’ बताया गया है और चाचा चौधरी की पट्टी अमेरिका स्थित कार्टून कला के अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय में लगी हुई है।

प्राण की कई कृतियों पर कार्टून फिल्में भी बनाई गईं। वर्ष 2009 में आए एक रूपांतरण में रघवीर यादव ने चाचा चौधरी का किरदार निभाया था।

चाचाचौधरी.कॉम के अनुसार, प्राण एक वैश्विक शख्सियत थे और उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, चीन, दक्षिण कोरिया समेत दुनिया के एक बड़े हिस्से की यात्रा की थी। वे जहां भी गए, वहां उन्होंने कार्टूनिस्टों की सभाओं को संबोधित किया।’’ अपनी वेबसाइट पर प्राण के हवाले से लिखा गया है,

"If I could put a smile on the face of people, I would consider my life successful" - PRAN

‘‘यदि मैं लोगों के चेहरे पर एक मुस्कान ला सका तो मैं अपने जीवन को सफल मानूंगा।’’ - प्राण

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi