बात छोटी सी है पर हम आज तक समझे नहीदिल के कहने पर कभी भी फ़ैसले करते नहीं सुर्ख़ रुख़्सारों पे हमने जब लगाया था गुलालदौड़कर छत्त पे चले जाना तेरा भूले नहीं हार, कुंडल,लाल बिंदिया,लाल जोड़े मे थे वोमेरे चेहरे की सफ़ेदी वो मगर समझे नहीं
हमने क्या-क्या ख़्वाब देखे थे इसी दिन के लिए
आज जब होली है तो वो घर से ही निकले नहीं
अब के है बारूद की बू चार-सू फैली हुई
खौफ़ फैला हर जगह आसार कुछ अच्छे नहीं.
उफ़ ! लड़कपन की वो रंगीनी न तुम पूछो 'ख़याल'
तितलियों के रंग अब तक हाथ से छूटे नहीं।