Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

उस मजदूर का घर

काव्य-संसार

हमें फॉलो करें उस मजदूर का घर

भारती पंडित

ND
कभी देखा है उस मजदूर का घर
जो हमारे सपनों का आशियाँ बनाता है ,
रिसती छत, टूटती दीवारें,
यही कुछ उसके हिस्से में आता है,
कभी देखी है उस किसान की रसोई
जो हमारे लिए अनाज उगाता है,
मोटा चावल,पानी भरी दाल
यही कुछ उसके हिस्से में आता है,
इस समाज का ढाँचा ही कुछ ऐसा है,
चाहकर भी कोई कुछ न कर पाता है,
मेहनत तो आती है किसी और के हिस्से
और मुनाफे के लड्डू कोई और खाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi