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आशा जाकड़मन की खिली पंखुरियाँ तुम्हारे आने पर कण-कण हुआ रसमय तुम्हारे आने पर
झुलस रही थी सारी धरती
चटख रही थी सारी धरती
तृप्त हुआ ये हृदय तुम्हारे आने पर
आसमान में उड़ते बादल
आँखों का बन गया हो काजल
बहने लगी ठंडी बयार तुम्हारे आने पर
इंतजार के टूटे ताले
उमड़ पड़े नदी और नाले
फूटी रस की धार तुम्हारे आने पर
सूख रहे थे वन और उपवन
सुलग रहे थे सबके तन मन
पेड़ों पर निकले पात तुम्हारे आने पर।