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पहली बारिश, पहला प्यार

ज्योति जैन

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हमें फॉलो करें हिन्दी कविता
WD
आज बारिश,
लगती है नई।
नए अर्थ समझती है।

पहली बारिश पर,
मिटटी की सौंधी महक,
जैसे
प्रथम प्रेम से परिचय।

फि‍र बरसे
तो प्रेम-सी ही
शीतलता
कभी तेज बौछार
चुभती तन को,
मानो प्रेम की हो
आक्रामकता

और जब बदली
बरस जाए-
तो व्‍योम उतना ही
स्‍वच्‍छ और निर्मल,
जितना कि प्रेम।

स्‍पर्श बिना मन को
भिगोने का अहसास
देती है पहली बारिश।

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