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प्यार तुम्हारा खुशबू बनकर
सहबा जाफरी
प्यार तुम्हारा शबनम बनकर डाली-डाली छिटका हैप्यार तुम्हारा रेशम बनकर मेरे मन पर अटका हैकिसका ये उजियारा है जो रात को दिन कर देता हैप्यार तुम्हारा जुगनू बनकर मेरे आँगन उतरा हैअक्टूबर की गर्मी जैसे मेरे तन्हा जीवन मेंप्यार तुम्हारा गुलमोहरों-सी ठंडी छाया देता है क्या है ऐसा यूँ ही जो मेरे मन को महकाता हैप्यार तुम्हारा खुशबू बन कर मेरी रूह में उतरा हैमेरे सन्नाटे को जिसने पल दो पल में तोड़ दियाप्यार तुम्हारा रागिनी बन कर इस जीवन में बिखरा है।