Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

मैं चाँद देखा करती हूँ

Advertiesment
हमें फॉलो करें फाल्गुनी

स्मृति आदित्य

ND
शरद की
बादामी रात में
नितांत अकेली
मैं
चाँद देखा करती हूँ
तुम्हारी
जरूरत कहाँ रह जाती है,

चाँद जो होता है
मेरे पास
'तुम-सा'
पर मेरे साथ
मुझे देखता
मुझे सुनता
मेरा चाँद
तुम्हारी
जरूरत कहाँ रह जाती है।

ढूँढा करती हूँ मैं
सितारों को
लेकिन
मद्धिम रूप में उनकी
बिसात कहाँ रह जाती है,

कुछ-कुछ वैसे ही
जैसे
चाँद हो जब
साथ मेरे
तो तुम्हारी
जरूरत कहाँ रह जाती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi