Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Tuesday, 15 April 2025
webdunia

मैं ही कर डालूँ पूरे, मेरे सपने अधूरे

काव्य-संसार

Advertiesment
हमें फॉलो करें भारती पंडित

भारती पंडित

ND
उस दिन,
जब मैं पहली बार स्कूल गया,
और उस दिन,
जब मैंने सीखा था ककहरा,
ढेरों अधूरे-से सपने
आ गिरे थे मेरी झोली में,

दादा के सपने, दादी के सपने,
माँ के सपने, पिताजी के सपने
ये सारे मानो जोह रहे थे बाट
webdunia
ND
मेरे जवान होने की
ताकि उनके सपनों को भी
मिल जाए कोई मंजिल।

आज उनके सपनों को जीता मैं
सोचता हूँ कि देख लूँ अपने भी सपने
और उन्हें पूरा भी मैं ही कर डालूँ
डरता हूँ कि मेरे अधूरे सपने...
मेरे नन्हे की आँखों में घर न बना लें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi