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वीर शहीदों को नमन!!!

काव्य-संसार

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- हेमंत गोय
ND
आए दिन सुनते हैं हम,
जवानों के शहीदी गम,
कभी आतंकी, कभी नक्सली,
प्राणशक्ति छीन लेते हैं,
फिर भी 'भारत रत्न' हमारे,
निडरता से जीते हैं,
हम क्यों न पूछे उन दरिंदों से,
क्या मिलता है रक्त बहाने में
आख़िर कौन सा सुख निहित है
लाशों के ढेर बिछाने में?
पशुपति से तिरुपति तक फैला है विस्तार,
न जाने क्यों करते आए, ये भीषण नरसंहार।

क्यों आज लगता है ऐसे,
हम पत्थर दिल इंसान हो जैसे,
न कभी परवाह करते हैं,
न ही कभी कोई गिला किया,
वे तो सचमुच दिलदार ही थे,
जो स्वयं ही अपना कफ़न सिया।
घड़ी अब वो आ गई है,
रणभेरी फिर से बज उठी है,
अब कदम आगे बढ़ाना होगा,
सिंह सम दहाड़ना होगा।

आज हम हों वचनबद्ध
भारत की जय लगाएँगे,
चाहे जितने तूफाँ आए,
सबसे टकरा जाएँगे।
छत्तीसगढ़ महतारी कर रही पुकार,
दो करोड़ छत्तीसगढ़‍ियों का सुखी रहे परिवार।


छत्तीसगढ़ में हुई नक्सली हिंसा में शहीद जवानों की याद में अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़ से वेबदुनिया पाठक हेमंत गोयल द्वारा प्रेषित कविता।

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