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हिन्दी कविता : अंधेरा जरूरी है...

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राकेशधर द्विवेदी

मुस्काते हुए गुलाब के
फूल ने कहा कि


 
कांटे जरूरी हैं
ताकि में अपनी खुशबू
बिखेर सकूं।
 
खिलखिलाते हुए कमल के
फूल ने कहा कि
कीचड़ जरूरी है
ता‍कि पूरी तरह मैं
खिल सकूं।
 
अपनी पूर्ण प्रभा पर
दैदीप्यमान सूर्यदेव ने कहा
कि अंधेरा जरूरी है
ताकि व्यक्ति को उजले का
अहसास हो सके।
 
गीत गाते हुए आनंदित
जीवन ने कहा कि
मृत्यु जरूरी है
ताकि जीवन की
सार्थकता का
ज्ञान हो सके।
 
संक्षेप में जीवन में
कष्ट जरूरी है
जिसमें सुख क्या है
इस बात का आभास हो सके।

 

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