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हिन्दी कविता : आम आदमी

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राकेशधर द्विवेदी

राशन की दुकान पर
चार घंटे से खड़ा है
यह आम आदमी है।


 
सब्जी वाले से बिना
बात के लड़ा है
यह आम आदमी है।
 
मूंगफली को चिनिया बादाम कह
बच्चों को खिला रहा है
यह आम आदमी है।
 
डालडा वनस्पति में
देशी घी का स्वाद पा रहा है
यह आम आदमी है।
 
दूध के बिल पर
पत्नी से लड़ रहा है
यह आम आदमी है।
 
सुविधा शुल्क के नाम पर
धीरे से रिश्वत दे रहा है
यह आम आदमी है।
 
रोज मरने की तमन्ना करके भी
जी रहा है
यह आम आदमी है।

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