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हिन्दी कविता : आस्था...

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सुशील कुमार शर्मा

त्याग-तप-संयम सिखाती है हमारी आस्था। 
मनुजता के गीत गाती है हमारी आस्था।












आत्मा का सर्वव्यापक रूप है हमारी आस्था। 
जीवन में सद्भाव प्रस्फुटित कराती हमारी आस्था।
 
अनुभूतियों के आसमान को बासंती बनाती हमारी आस्था। 
समेट लेती है सारे दुःख मन के हमारी आस्था।
 
भर देती है जीवन को खुशियों से हमारी आस्था। 
मन को देती अपना शीतल स्पर्श हमारी आस्था।
 
सहज, सरल, सानंद प्रगति का पथ बताती हमारी आस्था। 
सतत, अविरल, नदी के मानिंद बहती हमारी आस्था।
नूतन सृजन के नव आचरण सिखाती हमारी आस्था।

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