(त्रिशब्दीय रचना)
नव स्वतंत्र गान,
स्वच्छ शास्त्रीय परिधान।
दैवीय संस्कृति संपन्न,
विविध प्राकृतिक रंग।
विभिन्न धार्मिक उत्सव,
राष्ट्रीयता के महोत्सव।
संस्कृति की विविधता,
अविच्छिन्न धार्मिक समरसता।
कन्याकुमारी से कश्मीर,
अरुणाचल से कच्छतीर।
होली की हुड़दंग,
ईद की तरंग।
दीपावली के दीप,
श्रद्धा समन्वय समीप।
हिन्द सागर का तीर,
हिमालय धीर गंभीर।
शादी, ढोल, तमाशे,
गोल बर्फ बताशे।
हिन्दू, सिख, ईसाई,
पारसी, मुस्लिम भाई।
प्रगति के सोपान,
अंतरिक्ष में मंगलयान।
सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा,
नारियों की अभिरक्षा।
समता, ममतायुक्त,
द्वेष, पाखंड विमुक्त।
आगे बढ़ता देश,
उन्नत सब प्रदेश।
सबका हो विकास,
करें सम्मिलित प्रयास।
भारत भाग्य विधान,