शनि जयंती पुण्य दिन, साधक करें विचार,
कर्म सुधारो स्वयं के, हो भव सागर पार।
न्याय संग शनि देवता, पावन इनका नाम
कर्मों से ये न्याय दें, इनका अद्भुत काम।
नीलवर्ण, मस्तक तिलक, कर में दण्ड सवार,
दोषी को दे दंड वह, सच्चे को उपहार।
कर्म वही जो शुभ लगे, मन हो निर्मल नीर
कृपा बरसती शनि शुभम, मिटे हृदय की पीर।
रवि सुत शनि छवि गूढ़ है, इनका भेद अजान
सत्य पथिक के साथ में, रहते शनि भगवान।
तैल, उड़द के संग में, दीप जले दरबार।
शनि प्रसन्न हों प्रेम से, काटें दुःख अपार।
भक्ति बिना ना पार हों, शनि दशा के द्वार।
सच्चे मन पाते सदा, मंगल शुभ उपहार।
रोग शोक संताप सब, मिटें शनि के द्वार
दीन-दुखी सब मुक्त हों, मिलती बुद्धि अपार।
नीच कर्म से दूर हो, रखते दूर अधर्म
शनि कृपा उन पर रहे, रखें सत्य का मर्म।
शनि जयंती पर करो, देव शनि का ध्यान।
जो बोओगे फल मिले, शनि न्याय आधान।
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