Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिन्दी कविता : अलग-अलग विषय

Advertiesment
हमें फॉलो करें hindi poem
webdunia

सुशील कुमार शर्मा

बेटी राखी पावनी, ज्यों गंगा की धार।
दोनों कुल पावन करे, खुशियां देय अपार।


 
रक्षाबंधन पर्व है, नेह-मिलन और मिठास।
बहनों को रक्षा वचन, भाइयों को स्नेह आकाश।
 
पदक तालिका देखकर, लोग हैं बहुत निराश।
यह ओलंपिक सूना गया, अब आगे की आस।
 
बाजारों में शिक्षा बिकी, खो गए सारे मूल्य।
फर्जी डिग्री बिक रही, नौकरी हुई अमूल्य।
 
मुख्य न्यायाधीश रो रहे, देख व्यवस्था न्याय।
सरकारें सोती रहीं, न्याय बना अन्याय।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कविता : वियोग एवं श्रृंगार