Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कविता : एक अदने की बात...

Advertiesment
हमें फॉलो करें Hindi Poem
webdunia

सुशील कुमार शर्मा

हे महान साहित्य सम्राटों, 
मत रौंदों अपने अहंकार के तले, 
नन्हे पौधों की कोंपलों को।


 
 
तुम्हारे ताज में अकादमी, पद्मश्री, नोबेल सजे हैं,
सम्मानों से लदा है तुम्हारा अहंकार, 
साहित्य तुमसे शुरू होकर तुम पर ही खत्म हो रहा है। 
 
तुम्हारी सैकड़ों पुरस्कृत किताबों के नीचे, 
मेरे दबे शब्द निकलने की कोशिश करते हैं,
लेकिन तुम्हारी बरगद-सी शाखाएं, 
फुंफकारकर सहमा देती हैं मेरे अस्तित्व को।
 
एक फुनगे की तरह निकलने की मेरी कोशिश को, 
कुचल देती है तुम्हारी हाथी पदचाप, 
तुम नहीं सुनना चाहते एक छोटे फूल की बात, 
क्योंकि तुम्हारे अहंकार के बगीचे में, 
फैली नागफनी लहूलुहान कर देती हैं स्वयं तुम्हें भी।
 
अपने कृतित्व के पिंजरे में कैद, वंचित हो तुम, 
बाहर खुली फिजाओं की भीनी खुशबुओं से, 
पथ प्रदर्शन करने वाला तुम्हारा व्यक्तित्व, 
आज पहाड़ की तरह खड़ा है रास्ते में।
 
(यह भाव किसी के लिए व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि वर्तमान व्यवस्थाओं पर एक व्यंग्य है।)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आधी दुनिया की एक और सम्मानजनक जीत