चंपा के फूल जैसी काया तुम्हारी
मन को आकर्षित कर देती
जब खिल जाती हो चंपा की तरह
भौंरे-तितलियों के संग
जब भेजती हो सुगंध का संदेश
वातावरण हो जाता है सुगंधित
और मन हो जाता मंत्र मुग्ध
जब संवारती हो चंपा के फूलों से
अपना तन
जूड़े में, माला में और आभूषण में
लगता है स्वर्ग से कोई अप्सरा
उतरी हो धरा पर
उपवन की सुंदरता बढ़ती
जब खिले हों चंपा के फूल
लगते हों जैसे धवल वस्त्र पर
लगे हो चंदन की टीके
सुंदरता इसी को कहते
बोल उठता हूं -
प्रिये तुम चंपा का फूल हो