पं. डॉ. भरत कुमार ओझा ''भानु''
सबने मना ली दिवाली
तो सबको ही बधाई
पर एक बात बताओ यारों
किसने कैसी दिवाली मनाई ?
क्या त्यौहार में हर कोई
अपने लिए ही जिया ?
या किसी गरीब के घर भी
जाकर लगाया दिया ?
क्या किसी की मायूसी को
दूर जरा कर पाए ?
या केवल अपने लिए ही
खील-बताशे लाए ?
क्या सभी ने अपने लिए ही
सिलवाए नए-नए कपड़े?
या किसी बस्ती के भी
हरण किए कुछ लफड़े ?
अनाथाश्रमों, वृद्धाश्रमों आदि की
क्या याद किसी को आई ?
या केवल अपने ही घरों में
सबने मिठाई खाई ?
क्या अपने आंगन में ही
सबने पटाखे फोड़े ?
या मुरझाए पड़ोसी के भी
आंसू पोछने दौड़े ?
अपने लिए तो मना लेते हैं सब
रंग-बिरंगे हर त्यौहार
जो ओरों की भी सुध लें ''भानु''
तो जग में आएगा निखार।