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एक बेटी की कविता : मां...

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- जया ठोमरे 'कुमावत'
 

 
तेरी छोटी स‍ी बगिया का,
सबसे सुंदर फूल हूं मां।
भूल ना जाना अर्पण करके,
तेरा ही अक्स हूं मां।
 
जब भी तेरे आंगन आऊंगी,
यादें अपनी छोड़ जाऊंगी।
तेरी आंखों का तारा बनके,
दूर गगन में चमकूंगी मां।
 
भूल ना जाना अर्पण करके...
 
जनम तू मुझको देती है,
फिर खुद से दूर कर देती है।
हूं मैं तेरी प्यारी बिटिया और,
पापा की राजदुलारी मां।
 
भूल ना जाना अर्पण करके...। 

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