गोपाल दास नीरज के 5 लोकप्रिय फिल्मी गीत
हिन्दी जगत के साहित्यकार (author of Hindi literature) गोपालदास नीरज (Gopaldas Neeraj) मशहूर कवि, शायर और गीतकार है। उन्होंने कई फिल्मों के लिए बेहतरीन गीत (Filmi Song) लिखे हैं, उनके गीत लोगों को बहुत पसंद है। उनके फिल्मी गीतों को लोग आज भी सुनना पसंद करते हैं। 4 जनवरी, आज उनका जन्मदिन है। यहां पढ़ें नीरज जी के 5 लोकप्रिय गीत-
1. फिल्म- मेरा नाम जोकर (1972) Filmi Song
ए भाई, ज़रा देखके चलो, आगे ही नहीं पीछे...
(ए भाई, ज़रा देखके चलो, आगे ही नहीं पीछे भी
दायें ही नहीं बायें भी, ऊपर ही नहीं नीचे भी) - 2
ए भाई
तू जहां आया है वो तेरा - घर नहीं, गांव नहीं
गली नहीं, कूचा नहीं, रस्ता नहीं, बस्ती नहीं
दुनिया है, और प्यारे, दुनिया यह एक सरकस है
और इस सरकस में - बड़े को भी, छोटे को भी
खरे को भी, खोटे को भी, मोटे को भी, पतले को भी
नीचे से ऊपर को, ऊपर से नीचे को
बराबर आना-जाना पड़ता है
(और रिंग मास्टर के कोड़े पर - कोड़ा जो भूख है
कोड़ा जो पैसा है, कोड़ा जो क़िस्मत है
तरह-तरह नाच कर दिखाना यहां पड़ता है
बार-बार रोना और गाना यहां पड़ता है
हीरो से जोकर बन जाना पड़ता है)- 2
गिरने से डरता है क्यों, मरने से डरता है क्यों
ठोकर तू जब न खाएगा, पास किसी ग़म को न जब तक बुलाएगा
ज़िंदगी है चीज़ क्या नहीं जान पाएगा
रोता हुआ आया है चला जाएगा
कैसा है करिश्मा, कैसा खिलवाड़ है
जानवर आदमी से ज़्यादा वफ़ादार है
खाता है कोड़ा भी रहता है भूखा भी
फिर भी वो मालिक पर करता नहीं वार है
और इंसान यह- माल जिस का खाता है
प्यार जिस से पाता है, गीत जिस के गाता है
उसी के ही सीने में भोकता कटार है
हां बाबू, यह सरकस है शो तीन घंटे का
पहला घंटा बचपन है, दूसरा जवानी है
तीसरा बुढ़ापा है
और उसके बाद - मां नहीं, बाप नहीं
बेटा नहीं, बेटी नहीं, तू नहीं,
मैं नहीं, कुछ भी नहीं रहता है
रहता है जो कुछ वो- ख़ाली-ख़ाली कुर्सियां हैं
ख़ाली-ख़ाली ताम्बू है, ख़ाली-ख़ाली घेरा है
बिना चिड़िया का बसेरा है, न तेरा है, न मेरा है।
Filmi Song 2. फिल्म- अज्ञात (1970)
काल का पहिया घूमे भैया...
काल का पहिया घूमे भैया
लाख तरह इंसान चले
ले के चले बारात कभी तो
कभी बिना सामान चले
राम कृष्ण हरि ...
जनक की बेटी अवध की रानी
सीता भटके बन बन में
राह अकेली रात अंधेरी
मगर रतन हैं दामन में
साथ न जिस के चलता कोई
उस के साथ भगवान चले
राम कृष्ण हरि ...
हाय री क़िस्मत कृष्ण कन्हैया
स्वाद न जाने माखन का
हँसी चुराए फूलों की वो
कंस है माली उपवन का
भूल न पापी मगर पाप की
ज्यादा नहीं दुकान चले
राम कृष्ण हरि ...
अजब है कैसी प्रभु की माया
माला से बिछुड़ा दाना
ढूंढे जिसे मन सामने है वो
जाए न लेकिन पहचाना
कैसे वो मालिक दिखे तुझे जब
साथ तेरे अभिमान चले
राम कृष्ण हरि ...
कर्म अगर अच्छा है तेरा
क़िस्मत तेरी दासी है
दिल है तेरा साफ़ तो प्यारे
घर में मथुरा काशी है
सच्चाई की राह चलो रे
जब तक जीवन प्राण चले
राम कृष्ण हरि ...।
Filmi Song 3. फिल्म- शर्मीली (1971)
ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली...
ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली
आओ ना तरसाओ ना
ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली
तेरा काजल लेकर रात बनी, रात बनी
तेरी मेहंदी लेकर दिन उगा, दिन उगा
तेरी बोली सुनकर सुर जागे, सुर जागे
तेरी खुशबू लेकर फूल खिला, फूल खिला
जान-ए-मन तू है कहां
ओ मेरी...
तेरी राहों से गुज़रे जब से हम, जब से हम
मुझे मेरी डगर तक याद नहीं, याद नहीं
तुझे देखा जब से दिलरुबा, दिलरुबा
मुझे मेरा घर तक याद नहीं, याद नहीं
जान-ए-मन तू है कहां
ओ मेरी...
ओ नीरज नयना आ ज़रा, आ ज़रा
तेरी लाज का घूंघट खोल दूं, खोल दूं
तेरे आंचल पर कोई गीत लिखूं, गीत लिखूं
तेरे होंठों में अमृत घोल दूं, घोल दूं
जान-ए-मन तू है कहां
ओ मेरी...
4. फिल्म- प्रेम पुजारी (1970)Filmi Song
फूलों के रंग से, दिल की कलम से...
फूलों के रंग से, दिल की कलम से
तुझको लिखी रोज़ पाती
कैसे बताऊं, किस किस तरह से
पल पल मुझे तू सताती
तेरे ही सपने, लेकर के सोया
तेरी ही यादों में जागा
तेरे खयालों में उलझा रहा यूं
जैसे के माला में धागा
हां, बादल बिजली चंदन पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
हाँ, इतना मदिर, इतना मधुर तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
सांसों की सरगम, धड़कन की वीना,
सपनों की गीतांजली तू
मन की गली में, महके जो हरदम,
ऐसी जुही की कली तू
छोटा सफ़र हो, लम्बा सफ़र हो,
सूनी डगर हो या मेला
याद तू आए, मन हो जाए, भीड़ के बीच अकेला
हाँ, बादल बिजली, चंदन पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
पूरब हो पच्छिम, उत्तर हो दक्खिन,
तू हर जगह मुस्कुराए
जितना भी जाऊं, मैं दूर तुझसे,
उतनी ही तू पास आए
आंधी ने रोका, पानी ने टोका,
दुनिया ने हंस कर पुकारा
तसवीर तेरी, लेकिन लिए मैं, कर आया सबसे किनारा
हां, बादल बिजली, चंदन पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
हां, इतना मदिर, इतना मधुर तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई कई बार
कई, कई बार... कई, कई बार ...।
5.फिल्म- पहचान (1971)Filmi Song
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं...
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं
आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं
एक खिलौना बन गया दुनिया के मेले में
कोई खेले भीड़ में कोई अकेले में
मुस्कुरा कर भेंट हर स्वीकार करता हूं
आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं...
मैं बसाना चाहता हूं स्वर्ग धरती पर
आदमी जिस में रहे बस आदमी बनकर
उस नगर की हर गली तैय्यार करता हूं
आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं...
हूं बहुत नादान करता हूं ये नादानी
बेच कर खुशियां खरीदूं आंख का पानी
हाथ खाली हैं मगर व्यापार करता हूं
आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं...।
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