Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिन्दी ‍कविता : नव वर्ष

Advertiesment
हमें फॉलो करें हिन्दी ‍कविता : नव वर्ष
webdunia

राकेशधर द्विवेदी

आ गई नई सुबह
एक आशा और विश्वास लिए
नवनिर्माण विकास की आस लिए
नूतन वर्ष में कुछ नया कर दिखाएंगे
राष्ट्र का सम्मान और गौरव बढ़ाएंगे
 

 

 
 
लेकिन प‍िछले सड़सठ वर्षों में
क्या बदला है?
गोदान का होरी आज भी
भरपेट भोजन के लिए तरसा है
निराला की ‍वीरांगना अभी भी पत्थर तोड़ रही है
हिन्दुस्तान का भविष्य अभी भी
नींव की ईंट जोड़ रही है
 
देश का बचपन फुटपाथ पर
पड़ा सिसक रहा है
वह महानगरों के होटलों
और ढाबों में भटक रहा है
 
मेरे नौजवान साथियों
यदि नहीं सुधार सकते राष्ट्र की
तस्वीर नव वर्ष में
तो इस तरह शोर-शराबा
करने में क्या धरा है
 
नए वर्ष और नई सुबह में
क्या कुछ नया संदेश छिपा है?
क्या तुम सुधार सकते हो
राष्ट्र की तस्वीर नव वर्ष में
क्या फिर स्थापित कर सकते
हो उसे जगतगुरु के रूप में
 
यदि यह संभव है
तो नव वर्ष का यह
उत्सव एक संदेश है
यदि ऐसा नहीं तो
विदेशियों की परंपरा को निभाने का आदेश है।
 
 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi