अव्यवस्थाओं के घुप अंधेरे में उजाला आसानी से तो आना नहीं है,
विरोधियों के पास अनर्गल बकवास का बचा अब कोई बहाना नहीं है।
यूपी को चाहिए था बस योगी-सा ही धाकड़ नेता,
जिसको अपने लिए तो कुछ खोना या पाना नहीं है।।1।।
कोई तो कारण था जिससे पैदा हुई सिस्टम में कमी,
कभी न रूबरू हुए उस कारण से, दोषी तो सचमुच थे हमी।
कायरता हमारी उजागर होकर आती है सामने,
जब देखते हैं कि सुधार ला देता है मोदी/ योगी-सा एक धाकड़ आदमी।।2।।
भारत के जनमानस को अब गंभीर चिंतन चाहिए,
किसी परिवार या विरासत की न महिमा का गायन चाहिए।
नहीं चाहिए खुशामदियों से घिरे बचकाने पुतले अब,
मोदी की कार्यविधि में निपुण संकल्पवान युवजन चाहिए।।3।।
चुनावों ने उस बूढ़ी पार्टी के सब अरमानों को चकनाचूर किया,
युवराज के आसपास आशाओं के कुहासों को दूर किया।
अच्छा है कि अंध आस्थाओं पर लगी करारी चोट ने,
पार्टी के चिंतनशीलों को पुनर्विचार पर मजबूर किया।।4।।
झेल न पाए 'ईवीएम' से नतीजे, माया और केजरीवाल,
खिसियाए पहुंचे वे कोर्ट में, बदहवास बेहाल।
हर व्यवस्था तब तक ही ठीक है, हो जब तक उनके अनुकूल,
अन्यथा हुआ ही होगा बस, कोई षड्यंत्र या कि गोलमाल।।5।।