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हिन्दी कविता : संघर्ष

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शम्भू नाथ

संघर्ष ही जीवन का मूल एहसास है, 
कौन कहता है संघर्ष का नहीं साथ है।
 
बचपन बड़प्पन में हंस के गुजारा, 
जवानी में कइयों पर तीर मारा।

हरदम हमेशा देखा प्रभात है,  
संघर्ष ही जीवन का मूल एहसास है।
कौन कहता है संघर्ष का नहीं साथ है।।
 
पढ़ लिख कर के करता कमाई, 
बीवी से कभी-कभी होती लड़ाई।
बहू-पोते कहते दादा नवाब हैं, 
संघर्ष ही जीवन का मूल एहसास है।
कौन कहता है, संघर्ष का नहीं साथ है।।

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